शिशु की मालिश कैसे करें और इसके फायदे Shishu baby ki Malish Kaise kare
How to massage a baby in Hindi
बच्चे की मालिश कैसे करें ? (Shishu baby ki Malish Kaise kare) बच्चे की मालिश कितनी बार करनी चाहिए ? आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि शिशु की मालिश कैसे करनी चाहिए ?
Step by step जानेंगे कि शिशु की मालिश के लिए कौनसा तेल इस्तेमाल करना चाहिए ? शिशु की मालिश कितने साल तक करनी चाहिए और इसके फायदे क्या है ?
बच्चे को स्पर्श करने से बच्चे को कई चीजों का आभास होता है। स्पर्श करने के कारण बच्चा बाहर की दुनिया से जुड़ पाता है। यदि स्पर्श की बात की जाये, तो मसाज ही ऐसा तरीका है, जिससे बच्चे को मजबूत और स्वस्थ बनाया जा सकता है।
यही कारण है कि आज भी घरों में बच्चे की मालिश को एक परंपरा के रूप में देखा जाता है। शिशु की मालिश करना धीरे-धीरे पालने और शिशु के साथ समय बिताने का अच्छा तरीका है।
अधिकतर महिलाएं माँ बनने के बाद अपने बच्चे की मालिश करना चाहती है, लेकिन उन्हें शिशु की मालिश का सही तरीका मालूम नही होता है। शारीरिक और भावनात्मक रूप से बच्चे को स्वस्थ रखने के लिए बच्चे को स्पर्श की आवश्यकता होती है।
शिशु की मालिश करने के कारण उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, पाचन तंत्र अच्छा होता है. शरीर की बनावट सही ढंग से होती है, और उसकी हड्डियों और मांसपेशियों का विकास होता है। आप अपने बच्चे की मालिश उसके जन्म के बाद पहले हफ्ते से शुरू कर सकती है।
यह एक अच्छा तरीका है, अपने नन्हें-मुन्ने के साथ बंधने और एक आरामदेह माहौल बनाने का शानदार तरीका है। इस आर्टिकल के माध्यम से आप उन तरीको को अच्छे से जान पायेंगी और अपने बच्चे की मालिश सही ढंग से कर पायेंगी। तो चलिए शुरू करते हैं : (How to massage a baby in Hindi)
Shishu baby ki Malish Kaise kare

शिशु की मालिश क्या होती हैं ? [What is baby massage Hindi]
जब बच्चे का जन्म होता है, तो उसकी माँ या घर का अन्य कोई सदस्य उस बच्चे की मालिश करता है। कुछ लोग शिशु की मालिश के लिए बाहर से किसी महिला को नियुक्त करते हैं।
शिशु की मालिश आपके हाथो के द्वारा शिशु के पूरे शरीर को बहुत ही कम दबाव के साथ कोमल और लयबद्ध तरीके से सहलाती है। अपने बच्चे की मालिश के लिए आप बच्चें के टखनों, कलाई, और उंगलियों में धीरे-धीरे हेरफेर कर सकती है।
शिशु की मालिश के लिए कौन-सा तेल इस्तेमाल करना चाहिए ? Oil for baby massage in Hindi
शिशु के जन्म के बाद उसकी मालिश करना जरूरी माना जाता है। मालिश करने से शिशु का विकास होता है और त्वचा को पोषण मिलता है। कई बार लोग इस बात को लेकर असमंजस में पड़ जाते हैं कि शिशु की मालिश के लिए कौनसा तेल बेहतर रहेगा ?
तो आपके इसी कन्फ्यूजन को दूर करते हुए इस आर्टिकल में हम आपको बतायेंगे कि शिशु की मालिश के लिए कौन – सा तेल इस्तेमाल करना चाहिए ? Oil for baby massage in Hindi
शिशु की मालिश करने के लिए नारियल तेल एक बेहतर विकल्प हो सकता है क्योंकि नारियल तेल में एंटीफंगल और एंटीबैक्टिरियल गुण होता है, जो त्वचा को मुलायम और बेहतर बनाता है।
इसके साथ नारियल तेल हल्का होता है, जिसे शिशु की त्वचा सोख लेती है। शिशु की मालिश के लिए जैतून तेल भी लाभकारी होता है।
जैतून तेल में विटामीन-E और विटामिन-K होता है। इसके साथ-साथ जैतून तेल मे एंटीऑक्सिडेंट की अधिक मात्रा होती है। एक रिपोर्टस के अनुसार जिन बच्चों की मालिश जैतून तेल से की गई उनकी त्वचा, सूखी मालिश करने वालो की तुलना में बेहतर और नमीयुक्त थी। इसलिए जैतून तेल भी शिशु की मालिश के लिए अच्छा विकल्प हो सकता है।
सरसो का तेल भी शिशु की मालिश करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। जब शरीर की मालिश की जाती है, तो शरीर में रक्त का संचार होता है। कई भारतीय घरों में बच्चे के विकास के लिए उसके जन्म के समय सरसो के तेल से मालिश की जाती है।
शिशु की मालिश के लिए यह तेल काफी असरदार रहे हैं। इसके अलावा आप बादाम का तेल, कैस्टर ऑयल का भी इस्तेमाल कर सकती है।
शिशु की मालिश के फायदे [Baby massage benefits in Hindi]
जन्म के बाद जितनी जल्दी हो सकें, बच्चे को उसके माता-पीता का स्पर्श मिलना चाहिए। लेकिन बच्चे की मालिश करने से पहले आपको डॉक्टर से बातचीत जरूर करनी चाहिए। बच्चे की मालिश करने से बच्चे का विकास तो होता ही है, साथ ही शिशु की मालिश के अन्य फायदे भी है। आइये जानते हैं, शिशु की मालिश के फायदें.
Baby Massage Ke fayde : Baby massage benefits in Hindi
1) शिशु की मालिश करने के कारण उसकी मांसपेशियों के साथ- साथ शिशु के पूरे शरीर को आराम मिलता है।
2) मालिश करने से बच्चे और माता-पिता का बंधन गहरा होता है और बच्चे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने का अवसर मिलता है।
3) बच्चे की मालिश से उसकी हडियां मजबूत होती है और शरीर में कई तरह के अन्य बदलाव होते है।
4) जन्म के समय से ही हमारे शरीर में कुछ पॉइंट्स होते हैं, जहां कुछ देर दबाए रखने या मसाज करने पर शरीर में बदलाव होते हैं। शिशु की मालिश के समय भी जाने-अनजाने में वो पॉइंट्स हम बार-बार दबाते है, जिन्हें बच्चे को अच्छा महसूस होता है।
5) मालिश करने से बच्चा शांत होता है और रोना कम कर देता है।
6) नियमित मालिश से शिशु का पाचन तंत्र ठीक रहता है और पेटदर्द, गैस और कब्ज में राहत मिलती है।
7) मालिश करने के कारण बच्चे की मांसपेशिया शांत हो जाती है और बच्चा गहरी नींद में सोता है।
8) मालिश करने के कारण बच्चे के शरीर में ऊर्जा बनी रहती है और शरीर जागरुक रहता है।
9) शिशु की मालिश करने से अच्छी मांसपेशियों की टोन, समन्वय और लोच विकसीत होता है।
10) मालिश करने से पूरे शरीर में रक्त का संचार होता है, जिससे शरीर की अच्छी बनावट होती है और त्वचा को पोषण मिलता है।
11) शिशु की मालिश का एक अन्य फायदा ये भी है कि अपने बच्चे को संभालने में आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा।
शिशु की मालिश कैसे करे [Baby massage step by step in Hindi]
शिशु की मालिश करने के लिए आपको काफी सावधानियां रखनी पड़ेगी। शिशु की त्वचा बेहद नाजुक होती है, इसलिए मालिश करते वक्त बहुत ही कम दबाव लगाए। शिशु की मालिश अगर आप पहली बार कर रही है, तो आपको इसका तरीका पता होना चाहिए ।
शुरुआती कुछ महीनों तक आपको कम प्रेशर के साथ ही मालिश करनी है। आगे बताए गए तरीको से आप अच्छे से समझ पायेगी कि शिशु की मालिश कैसे की जाती है। तो आइये जानते हैं, शिशु की मालिश कैसे करें ? Baby Massage step by step in Hindi
Step 1. सबसे पहले मालिश के लिए शिशु को तैयार करें
शिशु की मालिश करने से पहले आपको शिशु को मालिश के लिए तैयार करना होगा। मालिश शुरू करने के लिए जरूरी है कि बच्चा शांत और हँसी के मूड में हों। आपको बच्चे को मालिश की प्रक्रिया में डालना होगा।
इसके लिए आप बच्चे है की साथ की हथेली, पेट और कान के पीछे हल्का तेल लगाएं। अगर बच्चा रो रहा है या हाथ-पैर झटपटा रहा है, तो समझ जाए कि वह मालिश के लिए तैयार नहीं। अगर शिशु शांत और अच्छे मूड में है, तभी मालिश शुरू करें।
step 2. शिशु के पैरों से मालिश की शुरुआत करें
हम आपको सुझाव देते हैं कि आप अपने शिशु की मालिश पैरो से शुरू करें। इस प्रक्रिया कों Indian Milking कहा जाता है। यानी जैसे भारत में दूध धोया जाता है।
आपको ऊपर से नीचे की ओर बिल्कुल कम प्रेशर लेते हुए मसाज करनी है। ध्यान रहें, बच्चा की मांसपेशिया नाजुक होती है। ज्यादा दबाव की कोई जरूरत नहीं है।
इसके बाद आपको Turn, Caress करना है। यानि नीचे से ऊपर की ओर अपनी उंगलियों को दाएं बाएं घूमते हुए मालिश करनी है। इसमे आपको शिशु के छुटनो और टखनों का खास ख्याल रखना है।
इसके बाद हल्के हाथों से तलवो की मालिश करती है। पैर के तलवो पर बहुत से सेंसटिव पॉइंट होते हैं। आपको धीरे-धीरे पैर की अंगुलियों को दबाना है, मानो किसी गेंहूँ के दाने को रोल कर रहे हो।
इसके बाद शिशु के पैर के एंगल से थाई (Thigh) की ओर मालिश करे। आपको इसे बिलकुल हल्के हाथो से करना है। इसी तरह आप दूसरे पैर की मालिश भी कर सकती है।
Step 3. बांहों की मालिश करना
पैरो की मालिश करने के बाद आपको शिशु की बाहो की मालिश करनी है। इसके लिए आप अपनी हथेली में हल्का सा तेल ले और कंधे से हाथों की कलाई की ओर मसाज करें।
ध्यान रखें, यहां भी आपको बिल्कूल कम दबाव के साथ मालिश करनी है। इसके बाद में कलाई से कंधे की ओर यानि नीचे से ऊपर की ओर मालिश करें।
इसके बाद हाथ की हथेली की मालिश करनी है और पैरों की अंगुलियों की तरह हाथ की अंगुलियों को भी हल्के-हल्के रोल करना है और इसके बाद हाथ को सीधे रखकर नीचे से ऊपर की और मालिश करनी है। इस तरह आपको हाथो की मालिश करनी है।
Step 4. शिशु के पेट और छाती की मालिश करना
शिशु के पेट की मालिश करने के लिए अपने हाथों में हल्का तेल लें और फसलियों के बीच में ऊपर से नीचे की ओर मालिश करें। इसमें आपको ध्यान रखना है कि नाभि को हाथ का स्पर्श ना हो।
इसके बाद अपने हाथों से पेट के दाएं-बाए मसाज़ करे। अब आपको अपनी दोनो अगुलियों से नाभि को सेंटर पॉइंट मानते हुए क्लॉक वाइज (clockwise) मालिश करनी है। यह पेट की आंतों के लिए होता है। इसके बाद आपको छाती पर एक हार्ट (Heat) बनाते हुए मालिश करनी है।
Step 5. शिशु की पीठ की मसाज करना
पीठ की मालिश करने के लिए शिशु को पेट के बल लेटा दें। इसमें आपको शिशु की नाक और नाभि का खास ध्यान रखना है। जब शिशु आरामदायक स्थिति में आ जाए, तब मालिश शुरू करें ।
पीठ की मालिश के लिए अपने हाथों को ऊपर से नीचे की ओर लाए । इसके बाद आपको सिर से थोड़ा नीचे कंधों की तरफ वर्टिकल लाइन (Vertical line) में मालिश करनी है और इस तरह पूरे बैंक पर मालिश करनी है।
रीढ़ की हड्डी के दोनों साइड हल्का-हल्का दबाव बनाते हुए मालिश करें, जैसे कि हम अपने बालों में मालिश करते हैं। इसके बाद कानों के पीछे से लेकर पूरी पीठ पर मालिश करे ।
इस तरह आपको अपने शिशु की मालिश करती है। इसमें आपको ध्यान रखना है कि आपके हाथ साफ सुथरे हो और नाखून कटे हुए होने चाहिए, ताकि बच्चे को कोई नुकसान ना पहुंचे ।
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