तेलीय त्वचा की देखभाल लक्षण कारण व सावधानियाँ Oily Skin Care Causes Treatment In Hindi
Oily Skin Care Causes Treatment In Hindi
त्वचा वास्तव में चमक युक्त होती है क्योंकि उसमें अतिरिक्त तेल होता है। त्वचा के प्रत्येक छिद्र के नीचे सिबेशियस ग्रंथि होती है जो त्वग्वसा (सिबम) नामक एक नैसर्गिक तेल को उत्पन्न करती है, इससे त्वचा में नमी रहती है एवं यह स्वस्थ रहती है।
मोम समान व तेलीय पदार्थमय यह नैसर्गिक तरल यदि अत्यधिक उत्पन्न होने लगे तो त्वचा में तेलीयता असामान्य रूप से बढ़ जाती है जिसे नियन्त्रित करना आवश्यक लग सकता है।
वैसे तो यह त्वग्वसा स्वास्थ्य के लिये महत्त्वपूर्ण होता है, इसके संघटन (कम्पोज़िशन) में ग्लिसराइड्स, वसीय अम्ल, वॅक्स ईस्टर्स, स्क्वालीन, कोलॅस्टेराल ईस्टर्स व कोलॅस्टेराल होता है। पूरे शरीर की सम्पूर्ण सतह पर त्वग्वसा हायड्रेशन में सहायक है ताकि त्वचा लचीली बनी रहे.
जीवाणुओं व विषाणुओं इत्यादि सूक्ष्मजीवों से बचाने के लिये कुछ अम्लीय आवरण बनाने में लिपिड्स सहायता करते हैं जिससे त्वग्वसा एण्टिबैक्टीरियल रक्षक भूमिका मुख्य रूप से निभाता है, रिंगवार्म जैसे कवक-संक्रमणों से बचाते हुए त्वग्वसा कवक-रोधी कार्य भी कर लेता है. स्क्वेलीन तो पराबैंगनी विकिरण से त्वचा को बचाने में सहायक है।
कुछ अनुसंधानों में ऐसा अनुमान जताया गया है कि हृदयक स्वास्थ्य में भी त्वग्वसा की भूमिका हो सकती है क्योंकि त्वग्वसा-स्रावण (सिबम-सिक्रेशन) का मुख्य कार्य अतिरेक लिपिड्स व कोलॅस्टेराल को निष्कासित करना भी होता है जो धमनियों को अवरुद्ध कर सकते हैं एवं हृदयरोगों को निमंत्रित।
इसी दिशा में कुछ अनुसंधानों में ऐसा भी प्रतीत हुआ है कि जिन वयस्कों को किशोरावस्था से एक्ने होता रहा है उन्हें कोरोनरी हृदय रोग से मृत्यु का जोख़िम कम रहता है क्योंकि उनके शरीर से लिपिड्स का उत्सर्जन सुचारु रहता है।
कुछ व्यक्तियों में ये त्वग्वसा ग्रंथियाँ अत्यधिक तेल उत्पादन करती हैं जिससे त्वचा अधिक तेलीय लगने लगती है। इस अतिरिक्त तेलीयता के कारण यह तेल मृत कोशिकाओं, मैल व धूलादि से मिल जाता है एवं यह मिश्रण छिद्रों में धँस सकता है।
Oily Skin Care Causes Treatment In Hindi

त्वचा में अत्यधिक तेल के 7 लक्षण –
1. अपेक्षा से अधिक चमक मानो अलग से तेल लगा रखा हो अथवा पसीना आने जैसा कलेवर
2. दिन के मध्य में अधिक ग्रीसी रूप
3. स्वयं को त्वचा में, विशषतया चेहरे की त्वचा में अनावश्यक चिकनापन अथवा चिपचिपाहट की अनुभूति
4. बन्द छिद्र
5. बड़े अथवा स्पष्ट छिद्र
6. बार-बार पिम्पल्स-मुँहासे या ब्लैकहेड्स
7. त्वचा में मोटापन अथवा खुरदुरापन लगना
तेलीय त्वचा के 7 कारण –
1. आनुवंशिक – माता अथवा पिता में से किसी में यह स्थिति रही हो तो सन्तान में भी होने की सम्भावना अधिक रहती है। आनुवंशिक कारण से हुई तेलीयता को नियन्त्रित करना कठिन हो सकता है।
2. पारिवेशिक – ग़र्मी अथवा उमस भरे मौसम अथवा जलवायु में अथवा ऐसे माहौल में जन्मे अथवा रह चुके होने से त्वचा की तेलीयता बढ़ती अथवा अधिक रहती है।
3. जीवन शैलीगत – अत्यधिक तेलीय कृत्रिम खाद्यों के सेवन से व समय पर न उठने से एवं अनिश्चित दिनचर्या से त्वचा की प्राकृतिक बनावट प्रभावित होने से भी तेलीयता बढ़-बढ़ जाती है।
4. आयु – बचपन में एवं बुढ़ापे में तेलीयता कम रहती है किन्तु युवावस्था एवं विशेषतया किशोरावस्था में सर्वाधिक तेलीय त्वचा सम्भव। आयु जैसे-जैसे बढ़ती जाती है वैसे-वैसे त्वचा का प्रोटीन क्षीण होता जाता है.
जैसे कि कोलेजन व त्वग्वसा ग्रंथियाँ मंदी पड़ती जाती हैं, इस कारण आयु अधिक होने के सापेक्ष त्वचा में सूखापन आ सकता है एवं झुर्रियाँ पड़ सकती हैं। किशोरावस्था में विशेषतया चेहरे की त्वग्वसा ग्रंथियों से अधिक तेल-उत्पत्ति होने से भी उम्र के इस पड़ाव में त्वचा में अत्यधिक तेलीयता अथवा अन्य विचित्रताएँ आ सकती हैं।
5. बड़े छिद्र – कभी-कभी त्वचा के छिद्र आयु के कारण अथवा भार में उतार-चढ़ाव के कारण चौड़े हो सकते हैं जिससे भी अधिक तेल उत्पादन हो सकता है। किशोरावस्था जनित अथवा अन्य प्रकार के हार्मोनल असंतुलन के कारण त्वचा में अतितेलीयता को सँभालना कठिन लग सकता है।
6. हानिप्रद उत्पादों का प्रयोग – विभिन्न रसायनों से तैयार उत्पादों को त्वचा पर लगाने अथवा केश तेल के रूप में प्रयोग करने से त्वचा पर उनका प्रतिकूल प्रभाव पड़ने से भी तेलीयता बढ़ सकती है।
7. बारम्बार धोना अथवा रगड़ना – धोने व रगड़ने से तेलीय त्वचा से कुछ राहत मिलती देख लोग बारम्बार इस रगड़न व धोने का प्रयोग करने लगते हैं, इससे विपरीत प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि त्वग्वसा ग्रंथियाँ सतह पर तेलीयता की इस कमी की भरपायी में और अधिक तेल उत्पन्न कर सकती हैं।
तेलीयता में 7 सावधानियाँ –
प्राय: तेलीयता न तो हानिप्रद होती है, न ही अवांछनीय एवं इसे रोक पाना न तो ठीक होगा, न सम्भव. अतः अनावश्यक रूप से अधिक तेलीयता हो तो नियन्त्रण के उपाय निम्नांकित हैं –
1. नैसर्गिक सन स्क्रीन लगाया जा सकता है – धूप में अधिक रहने से अधिक त्वग्वसा-उत्पादन होता है जिससे कुछ सीमा तक बचने के लिये मास्च्यूराइज़र्स व फ़ाउण्डेशन्स के लिये नैसर्गिक सनस्क्रीन्स का प्रयोग कर सकते हैं ताकि त्वचा की तेलीयता में कमी आये। ध्यान रहे कि त्वचा पर सूर्यप्रकाश सीधा पड़ना भी आवश्यक है ताकि शरीर विटामिन-डी का संश्लेषण कर सके।
2. नैसर्गिक मास्च्युराइज़र्स – हल्का वाला वाटर-बेस्ड नेचुरल मास्च्युराइज़र प्रयोग करते हुए त्वचा की तेलीयता को कुछ घटाया जा सकता है।
3. सौन्दर्य-प्रसाधन के नाम पर जो भी ख़रीद रहे हों उस पर ‘आइल-फ्ऱी’ एवं ‘नान-कामेडोजेनिक’ लिखा देखें। त्वचा के लिये जहाँ तक हो सके आइल फ्ऱी व वाटरबेस्ड उत्पादों का प्रयोग करें।
4. चेहरा नैसर्गिक हर्बल साबुनों इत्यादि से धोयें.
5. जई आदि अनाजों का दलिया समान मिश्रण अथवा आटा – इस मिश्रण को त्वचा पर लगाने से सूजन व तेल दूर करने में सहायता होती ही है। मृत कोशिकाओं व धूल-कणों को हटाने में भी यह सहायक है।
6. दहीं, मुल्तानी मिट्टी, कुछ हल्दी, केला अथपा पपीता, ग्वारपाठा, बादाम, टमाटर, खीरा, संतरे, नींबू, नारंगी के छिल्के में से कुछ-कुछ को किसी भी अनुपात में मिलाकर चेहरे पर लगाकर धोलें, हल्दी व खट्टे फलों के छिल्कों की मात्रा कुछ कम रखें।
7. आरोग्यकर भोज्य पदार्थों का सेवन करें – दुबारा अथवा तिबारा प्रयोग किया गया तेल, शक्कर-नमक-मिर्च की अधिकता व मैदा प्रधान उत्पादों से दूरी में ही त्वचा की बेहतरी ! डिब्बाबंद व पैकेज़्ड फ़ूड सहित फ़ास्ट व जंक फ़ूड, कोल्ड-सोफ़्ट ड्रिंक्स से जितने दूर त्वचा स्वास्थ्य से उतनी भरपूर.
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