मुंह के कैन्सर का कारण एवं उपचार Mouth Cancer Symptoms Precautions In Hindi
Mouth Cancer Symptoms Precautions In Hindi
क्या है मुंह का कैंसर (What is oral cancer) –
मुख-कैन्सर (Mouth Cancer) में मुख या मुख-गुहिका के किसी भाग में Cells का अनियन्त्रित व अवांछित विभाजन होने लगता है जो कि मुख्यतः ओष्ठों, मसूढ़ों, जीभ व जीभ के नीचे, गालों के आन्तरिक भाग अथवा तालु में पाया गया है। मुख-कैन्सर (Mouth Cancer) कई प्रकार के कैन्सरों के उस समूह का एक कैन्सर है जिसे सिर व गर्दन का कैन्सर कहा जाता है।
मुख-कैन्सर के कई लक्षण हो सकते हैं, जैसे कि मुख के किसी हिस्से में ऐसे घाव जो सप्ताहों में भी ठीक न हुए हों, मुख में कोई बना रहने वाला छाला या सुराख़, मुख में कहीं लालिमा अथवा सफेदी लिये संरचना का दिखना, तुतलाने लगना।
Mouth Cancer Symptoms Precautions In Hindi

मुंह के कैन्सर के कारण (Couses Of mouth cancer) –
1. धूम्रपान : सिगरेट, सिगार अथवा पाइप किसी भी रूप में किया गया धूम्रपान मुख-कैन्सर्स की सम्भावना को धूम्रपान रहित व्यक्ति से तुलना में 6 गुनी अथवा अधिक बढ़ाते देखा गया है
2. धूम्ररहित तम्बाकू : गाल व मसूढ़ों के कैन्सर की आशंका इसके कारण 50 अथवा अधिक गुनी बढ़ी पायी गयी है।
3. सुपारी चबाना
4. मदिरा : स्मरण रखें कि एक सर्वेक्षण अनुसार समस्त मुख-कैन्सरों में 25 % कैन्सर्स ऐसे लोगों में पाये गये जो धूम्रपान नहीं, मात्र मदिरापान करते थे, वह भी कभी-कभी। समग्रता में भी मदिरापान करने से मुख-कैन्सर की आशंका कम से कम 6 गुनी अधिक हो जाती है।
5. कैन्सर का पारिवारिक अतीत
6. दुर्बल प्रतिरक्षा तन्त्र
7. पुरुष होना (स्त्रियों की अपेक्षा दोगुने पुरुषों में मुख-कैन्सर देखा गया है)
8. ह्यूमन पेपिलोमावायरस।
मुख-कैन्सर की ओर ढकेल सकने में समर्थ अन्य जोख़िम कारक –
*. पेट में अम्ल अधिक बनना
*. एस्बेस्टास, गन्धक अम्ल या फ़ार्मेल्डिहाइड जैसे रसायनों के सम्पर्क में आना
*. बहुत गर्म चाय पीने की आदत
*. काफ़ी समय से बना हुआ घाव, जैसे कि आड़े-तिरछे दाँतों से स्वयं को हो-हो जाने वाले घाव
*. लिप्स्टिक – इनमें सीसा सहित अन्य हानिकारक धातुओं व रसायनों की उपस्थिति विशेषतया होंठों के लिये कैन्सरकारक सिद्ध हो सकती है।
मुंह के कैन्सर का उपचार (Treatment of oral cancer) –
मुख-कैन्सर का उपचार भी अन्य कैन्सरों की भाँति कैन्सर के प्रकार, स्थान एवं अवस्था (Stej) पर निर्भर है..
*. शल्यचिकित्सा – आरम्भिक अवस्थाओं में मुख-कैन्सर में प्रायः ट्यूमर व कैन्सरस लिम्फ़-नोड्स को हटा दिया जाता है।
*. विकिरण चिकित्सा – ट्यूमर पर दिन में एक अथवा दो बार रेडियेशन-बीम्स से निशाना साधा जाता है, यह कार्य विधि दो से आठ सप्ताहों तक हर सप्ताह पाँच दिन के लिये निर्धारित की जाती है। बाद की अवस्थाओं के मुख-कैन्सर में प्रायः कीमोथिरेपी व विकिरण-चिकित्सा का संयोजन किया जाता है।
*. कीमोथिरेपी – इसमें कैन्सर-Cells को नष्ट करने के लिये औषधियों का प्रयोग किया जाता है जिनका सेवन मौखिक रूप से अथवा नसों में कराया जाता है। कीमोथिरेपी के अधिकांश मामलों में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती।
*. लक्ष्यबद्ध चिकित्सा – यह आरम्भिक से अन्तिम अवस्थाओं के मुख-कैन्सरों में प्रभावी है। इसमें अतिविशिष्ट औषधियों द्वारा कैन्सर-Cells पर विशिष्ट प्रोटीन्स की कार्यप्रणाली को बाधित कर दिया जाता है जिससे उनकी बढ़त रोकी जाती है।
उपचार-दल में कौन-कौन ?
विशेषतया गले व मुख के कैन्सर के उपचार में प्रकरण की जरूरत के अनुसार निम्नांकित व्यक्ति सम्मिलित हो सकते हैं..
*. जनरल प्रैक्टिशनर – जो विशेषज्ञीय चिकित्सकों के साथ सामान्य स्वास्थ्यगत देखरेख करेगा.
*. नाक-कान-गला रोग विशेषज्ञ
*. सिर व गर्दन का शल्यचिकित्सक
*. मुख का शल्यचिकित्सक – जो मुख, चेहरे व जबड़े की शल्यक्रियाएँ करता हो
*. रिकन्स्ट्रक्टिव (प्लास्टिक) शल्यचिकित्सक – शरीर के प्रभावित अंगों की संरचना व कार्यप्रणाली को पहले के आसपास सामान्य जैसी करने के लिये टूट-फूट मरम्मत व जटिल पुनर्निर्माण कराने के लिये
*. दंतरोगविशेषज्ञ
*. रेडियेशन ओन्कोलाजिस्ट
*. मेडिकल आन्कोलाजिस्ट
*. कैन्सर नर्सेज़
*. स्पीच पॅथोलाजिस्ट
*. अन्य हेल्थ वर्कर्स इत्यादि।
समस्त प्रकार के कैन्सरों के उपचारों, लक्षणों, कारणों इत्यादि में अत्यधिक समानता होती है. इस सन्दर्भ में गले का कैन्सर कारण जाँचें व उपचार नामक आलेख पढ़ें।
विशेषतः मुख-कैन्सर की शल्यचिकित्सा के उपरान्त जीवन को पुनः पटरी पर लाने में समय लग सकता है, घबरायें नहीं, हो सकता है कि कुछ दिन नली से तरल आहार पर जीना पड़े, हो सकता है कि पसन्दीदा आहार चबाने की स्थिति आने में सप्ताहों का समय लग जाये,हड़बड़ी अथवा बेचैनी में कोई गड़बड़ न कर बैठें।
दर्दनिवारक औषधि चिकित्सक की सुझायी मात्रा व आवृत्ति में ही सेवन करें, जहाँ तक हो सके दर्द को सहन करना अब सीख लें क्योंकि दर्दनिवारक औषधियों से भी दुष्प्रभाव तो पड़ेंगे ही एवं इनसे दर्द की अनुभूति ही दूर होती है, दर्द का कारण नहीं मिट जाता।
मुख व गले दोनों के कैन्सर्स से बचने के लिये कुछ सावधानियाँ बरतें –
1. पानी प्रचुर मात्रा में पियें.
2. सलाद व कच्चे खाद्य-पदार्थों का सेवन बढ़ायें ताकि दाँत-मसूढ़े भी नैसर्गिक रूप से साफ़ व पोषित होते रहें.
3. शक्कर व अम्लीय खान-पान कम करें एवं जब भी करें तो मुख की आन्तरिक साफ-स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें.
4. ब्रश करते समय दाँतों को रगड़ने से बचें, वैसे नमक हल्दी से अँगुली द्वारा मंजन किया जा सकता है, भाँति-भाँति के हर्बल टूथपेस्ट एवं पावडर्स का प्रयोग बदल-बदल कर करते रहें.
5. यदि चाय-काफ़ी पियें तो उनमें दालचीनी, सौंठ, काली मिर्च, हल्दी जैसे एण्टिआक्सिडेण्ट्स अवश्य डालें.
6. रात को चाय पीकर अथवा Chips चबाकर बिना पानी पिये सो जाने से बचें; विशेषतः चाय पीने के 15-20 मिनट्स बाद पानी अवश्य पियें.
7. जंक फ़ास्ट फूड, Cold Drinks विशेषतया सोफ़्ट ड्रिंक्स से यथासम्भव बचें.
8. प्रयास करें कि रासायनिक उर्वरकों व पीड़कनाशियों के बजाय जैविक खेती से उपजाया गया आहार खायें.
9. समय-समय दंतचिकित्सक से मिलें एवं उसके कहे अनुसार यंत्रों से जबड़ों की सफाई करायें.
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