माइग्रेन के लक्षण कारण और उपचार Migraine Symptoms Causes Treatment In Hindi
Migraine Symptoms Causes Treatment In Hindi
माइग्रैन है क्या (What Is Migraine) –
माइग्रैन (Migraine) मस्तक की ऐसी कष्टपूर्ण स्थिति है जिसमें सिर में तेज धड़कन व धधकने जैसी अनुभूति हो सकती है जो कि प्रायः मस्तक के एक प्रषार्व में होती है।
साथ में जी मिचलाना, उल्टी सम्भव है एवं प्रकाश व ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता बहुत बढ़ सकती है। Migraine Attack घण्टों से दिनों तक हो सकते हैं तथा दर्द इतना हो सकता है कि दिनचर्या के कार्यों में विघ्न पड़ने लगे।
माइग्रैन-सम्बन्धी कुछ विशिष्ट शब्दार्थ –
आरा : यहाँ पर आरा का अर्थ आभामण्डल नहीं है, यहाँ पर आरा का आशय सिरदर्द से पहले अथवा उसके साथ आरा के रूप में चेतावनी-लक्षण से है जो कुछ व्यक्तियों में अनुभव होता है।
इस आरा में दृष्यात्मक व्यवधान (जैसे रोशनी की चमक या Blind Spots) एवं चेहरे के एक ओर अथवा एक भुजा अथवा पैर में झुनझुनी एवं बोलने में कठिनता सम्भव है।
माइग्रैन (Migraine) की चार अवस्थाओं में से एक के रूप में आरा आता है परन्तु जरुरी नहीं कि सब लोगों में या हर बार ये चारों अवस्थाएँ हों ही। यह भी स्मरणीय है कि एक अवस्था के लक्षण अन्य अवस्थाओं के लक्षणों के समान भी हो सकते हैं।
Migraine Symptoms Causes Treatment In Hindi

माइग्रैन के लक्षण की चार अवस्थाएँ –
1. प्रोड्रोम :
माइग्रैन से एक-दो दिन पहले कुछ गूढ़ परिवर्तन जो माइग्रैन आने के संकेत हो सकते हैं, जैसे कि कब्ज़ अथवा दस्त अथवा पेट फूलना, मनोअवस्थागत बदलाव (तनाव अथवा सुखाभास अथवा उन्माद), थकान, भूख की छटपटाहट, गर्दन में अकड़न, प्यास व मूत्रोत्सर्ग बढ़ना, बारम्बार जँभाई (उबासी लेना)।
2. औरा :
माइग्रैन (Migraine) के पहले अथवा साथ में कुछ व्यक्तियों में तन्त्रिका-तन्त्र के उत्क्रमणीय (बाद में ठीक हो जाने वाले) लक्षण हो सकते हैं, हर लक्षण प्रायः क्रमिक रूप से आरम्भ होता है, 20-60 मिनट्स तक रहता है।
माइग्रैन आरा के लक्षणों में विभिन्न आकृतियाँ दिखना, ब्राइट स्पाट्स अथवा रोशनी की चमक, दिख न पाना अथवा सुरंग समान सीधी रेखा में दिखना, एक भुजा अथवा पैर में सुई लगने अथवा काँटा चुभने जैसी अथवा यहाँ भारीपन की अनुभूति.
चेहरे में अथवा शरीर के एक पार्श्व में कमज़ोरी अथवा सुन्नता, बोलने में कठिनाई, कान में आवाज़ें अथवा धुनें बजने जैसी अनुभूति, अनियन्त्रणीय झकझोर अथवा ऐसी अन्य गतियाँ, अर्थात् मतिभ्रम होना जिसमें इन्द्रियाँ जो अनुभव नहीं कर रही होतीं वह व्यक्ति को मन ही मन प्रतीत होने लगता है।
3. अटैक :
उपचार न किये जाने पर माइग्रैन प्रायः 4 से 72 घण्टे तक रहता है। माइग्रैन (Migraine) कितनी बार होगा यह हर व्यक्ति के लिये अलग है। हो सकता है कि माइग्रैन्स कम ही हों अथवा महीने में कई बार हो सकते हैं।
माइग्रैन (Migraine) के दौरान मस्तक के प्रायः एक ओर दर्द रहता है परन्तु कई बार दोनों ओर भी पाया जा चुका है। दर्द धड़कने जैसा होता है जो श्रम के दौरान और ख़राब हो सकता है। प्रकाश, ध्वनि एवं कभी-कभी गंध व स्पर्श के भी प्रति संवेदनशीलता बढ़ी हुई अनुभव हो सकती है। जी मिचलाना एवं उल्टी भी।
4. पोस्ट-ड्रोम :
माइग्रैन अटैक के बाद उदासी अथवा खालीपन जैसी अनुभूति हो सकती है, पूरे दिन असमंजित अथवा थके-हारे जैसा भाव रह सकता है। असामान्य ताज़गी अथवा ख़ुशी जैसा अनुभव, पेशियों में कमज़ोरी, कुछ लोगों को घबराहट हो सकती है। सिर को झटके-से हिलाने से कुछ दर्द फिर से आ सकता है।
माइग्रैन की चिकित्सात्मक आवश्यकता –
निम्नांकित लक्षण सामने आये तो ध्यानपूर्वक लेखा-जोखा तैयार करते हुए चिकित्सक के पास पहुँचें –
*. एकदम से अथवा फटने जैसा सिररर्द
*. सिरदर्द के साथ बुखार, गर्दन में अकड़न, मनोभ्रम, उद्वेग, दृष्य दोहरे दिखना, दुर्बलता, सुन्नता अथवा बोलने में कठिनाई
*. सिर में चोट के बाद सिरदर्द, विशेषतया यदि सिरदर्द और बिगड़ गया हो तो
*. लम्बे समय से चला आ रहा दर्द जो खाँसी, श्रम, तनाव दबाव या आकस्मिक गति के बाद और बिगड़ जाता हो
*. 50 वर्षायु के बाद नये सिरदर्द
माइग्रैन के कारण व हावी कारक (Couses On Migraine) –
वैसे माइग्रैन के कारण ठीक से समझ नहीं आ सके हैं फिर भी आनुवंशिक व पारिवेशिक कारक अपनी भूमिका निभाते देखे गये हैं। मस्तिष्क के विभिन्न भागों को परस्पर जोड़ने वाली संरचनाओं या किसी भाग की संरचना में परिवर्तन अथवा हार्मोन्स में असंतुलन भी कारण हो सकता है.. कुछ सम्भावित कारण निम्नलिखित हैं –
1. मद्य : विशेषतया वाइन
2. तम्बाकू
3. चाय-कॉफी विशेषतया अधिक कैफ़ीनयुक्त कॉफी
4. तनाव : घर अथवा कार्यालय में, जिससे मुख्यतः रक्तचाप व हृद्-वाहिकात्मक रक्तपरिसंचरण में कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है
5. कृत्रिम अथवा सौर प्रकाश की तेजी
6. आसपास की तेज आवाज़ें
7. तेज गंध : परफ्यूम, पैण्ट-थिनर, सेकण्ड-हैण्ड स्मोक
8. निद्रात्मक परिवर्तन : बहुत समय से न सोना अथवा बहुत सोना, दिन में सोना, कार्यालयीन नाइट-शिफ़्ट अथवा शिफ़्टों में परिवर्तन, वायुयात्राओं के कारण सोने-जागने की अनिश्चितता से जैविक घड़ी में असामान्यता
9. असहज कर देने वाला श्रम, लैंगिक सम्बन्ध इत्यादि
10. मौसम-परिवर्तन : वायुदाब में परिवर्तन, हवा के थपेड़े अथवा यात्रा के बाद भौगोलिक ऊँचाई में परिवर्तन
11. कई प्रकार की औषधियाँ, जैसे कि छाती के दर्द में चिकित्सक द्वारा दी जाने वाली नाइट्रोग्लिसरीन, उच्चरक्तचाप में दिये जाने वाले वेसोडायलेटर्स
12. पुराने पनीर, नमकीन व प्रोसेस्ड फ़ूड्स का सेवन करना, समय पर सामान्य भोजन न करना
13. फ़ूड-एडिटिव्स : कृत्रिम स्वीट्नर एस्पार्टेम, प्रिज़र्वेटिव मोनोसोडियम ग्लुटामेट व नाइट्रेट्स (पैकेज़्ड फ़ूड ख़रीदते समय इनकी अनुपस्थिति अवश्य परखें)।
माइग्रैन में किन्हें जोख़िम अधिक –
1. पारिवारिक अतीत : परिजनों अथवा पिछली पीढ़ियों में माइगै्रन रहा हो तो
2. आय : किशोरावस्था
3. लिंग : पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों में माइग्रैन्स की आशंका तीन गुनी पायी गयी है।
4. स्त्रीसम्बन्धी हार्मोनल परिवर्तन : मासिक स्राव अथवा रजोनिवृत्ति में
5. अवसाद, दुषचिंता, बाईपालर डिसआर्डर एवं मिर्गी (एपिलिप्सी) जैसी-चिकित्सात्मक स्थितियों से भी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
माइग्रैन के प्रकार (Type Of Migraine) –
माइग्रैन्स (Migraine) अनेक प्रकार के पाये गये हैं। दो प्रकार सर्वाधिक देखे गये हैं – आरायुक्त माइग्रैन (Classical Migraine) और आरारहित माइग्रैन (Common Migraine)।
अन्य प्रकार –
*. मासिक स्रावसम्बन्धी माइग्रैन – मासिक स्राव के दौरान स्त्रियों को होने वाला सिरदर्द
*. साइलैण्ट अथवा एसिफ़ेल्जिक माइग्रैन – सिरदर्दरहित आरा लक्षण
*. वेस्टिब्युलर माइग्रैन – संतुलन-सम्बन्धी समस्याएँ, सिर घूमना अथवा चक्कर आना, मितली, उल्टी (सिरदर्द रहित अथवा सहित). यह प्रकार प्रायः ऐसे लोगों में देखा गया है जिन्हें मोशन-सिकनेस (Motion Sickness) होती है।
*. उदरीय (Abdominal) माइग्रैन – इस विषय में Experts की जानकारी और कम है। इसमें आमाशय में दर्द, मितली व उल्टी होती है। यह बहुधा बच्चों में होता है एवं समय के साथ क्लासिक माइग्रैन के सिरदर्द में बदल सकता है।
*. हेमिप्लेजिक माइग्रैन – शरीर के एक प्रश्रव में कमज़ोरी अथवा पक्षाघात (हेमिप्लेजिया प्रकार का) कुछ अवधि तक रहना, घुमनी (सिर चकराना), सुन्नता अथवा दिखायी देने में परिवर्तन भी सम्भव। ये लक्षण स्ट्रोक के लक्षण भी हो सकते हैं, अतः अलग से जाँच भी करायें।
*. आक्युलर रेटिनल माइग्रैन – इसमें नेत्र की दृष्टि अल्पावधिक, आंशिक अथवा पूर्ण रूप से चली जाती है। साथ में नेत्र के पीछे हल्का दर्द भी रह सकता है जो पूरे मस्तक में फैल सकता है। ऐसे लक्षण दिखने पर नेत्ररोगचिकित्सक से मिलना आवश्यक ।
*. आफ़्थेल्मोप्लेजिक माइग्रैन – इसमें नेत्र के चारों ओर दर्द होता है जिसमें आसपास की पेशियों में हुआ पक्षाघात् सम्मिलित है। यह एक चिकित्सात्मक आपात्स्थिति है क्योंकि नेत्र के पीछे तन्त्रिकाओं पर दबाव अथवा एनियुरिज़्म भी सम्भव। अन्य लक्षणों में पलकों में लटकन, दृष्य दोहरे दिखना अथवा अन्य दृष्यात्मक परिवर्तन सम्भव।
*. ब्रैनस्टेम आरायुक्त माइग्रैन – सिरदर्द से पहले सिर चकराना, मनोभ्रम अथवा संतुलन खोना सम्भव। पीड़ा मस्तक के पिछले भाग को प्रभावित कर सकती है।
ये लक्षण प्रायः अचानक शुरु होते हैं एवं साथ में बोलने में समस्या, कान बजना व उल्टी सम्भव। इस प्रकार का Migraine हार्मोन-परिवर्तनों से दृढ़ता से जुड़ा देखा गया है एवं युवतियाँ मुख्यतया प्रभावित होती हैं। इन लक्षणों में भी चिकित्सक से भेंट करें।
*. स्टेटस माइग्रैनोसस – तीव्र प्रकार का यह Migraine 72 घण्टों से अधिक रह सकता है। पीड़ा व मतली इतनी तेज होती है कि चिकित्सालय जाना आवष्यक हो सकता है।
माइग्रैन के उपचार (Migraine Treatment) –
माइग्रैन्स का उपचार नहीं है किन्तु औषधियों के प्रयोग द्वारा उनसे बचाव या उनसे राहत का प्रयास किया जा सकता है। माइग्रैन को बढ़ावा देने वाले कारकों से बचाव भी सम्भव। अधिकांश माइग्रैन्स घातक तो नहीं होते परन्तु हेमिप्लेजिक माइग्रैन (Migraine) से कभी-कभी कोमा या अन्य गम्भीर जटिलताएँ सम्भव हैं।
अचानक शुरु हो जाने वाला बहुत तेज सिरदर्द भी किसी अन्य ख़तरे का संकेत हो सकता है। स्ट्राक या एनियुरिज़्म हो या न हो किन्तु किसी लक्षण में दोहराव होने अथवा तनिक भी गम्भीरता जैसे लक्षण होने पर चिकित्सक से मिलें।
लक्षणों का इतिहास लिखते हुए यह भी बतायें कि सम्भावित कारक अथवा माइग्रैन-प्रेरक आपको क्या-क्या लग रहे हैं। Migraine की उपस्थिति की जाँच रक्त-परीक्षणों, इमेजिंग टेस्ट्स (एमआरआई अथवा सीटी स्केन्स) एवं इलेक्ट्रोइन्सेफ़ोलोग्रॅम द्वारा करायी जा सकती हैं।
वैसे तो अब तक सभी सन्दर्भों में Prescription अथवा Non Prescription के ली हुईं समस्त औषधियों का विवरण Doctor को पहले ही स्पष्ट बता दे.
विशेष रूप से 19 वर्षायु से कम के लोगों को एस्पिरिन यदि चिकित्सक भी बोले तो उसे मना कर दें, अन्यथा रेये-सिण्ड्राम का जोख़िम हो सकता है। वैसे तो चिकित्सक से सम्पर्क करना ही है परन्तु साथ में निम्नांकित घरेलु उपाय भी अपनाये जा सकते हैं-
*. नेत्र बन्द करें या अंधकार में जायें (किन्तु वहाँ Electronic Gadgets चालू न हों.
*. माथे पर कोई ठण्डक या गीला कपड़ा रखें.
*. ख़ूब सारा तरल-सेवन करें.
*. चलते-फिरते रहें, जीवनसाथी द्वारा मालिश करवायी जा सकती है, एक्यूप्रेशर वाले जूते-चप्पल पहनें.
*. नित्य ध्यान-योग व प्राणायाम किया करें.
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