खुजली के कारण जाँचें व बचाव के तरीके Khujli Itching Problem Solution In Hindi
Khujli Itching Problem Solution In Hindi
खुजली क्या है –
खुजली ऐसी स्थिति है जब त्वचा को खुरचने का मन होने लगता है एवं ऐसा लगने लगता है कि खुजाये अथवा खुरचे बिना आराम अथवा राहत सम्भव नहीं। खुजली एक त्वचा रोग के रूप में भी हो सकती है।
कभी-कभी प्रभावित भाग में दर्द जैसा लेकिन अलग संवेदन भी हो सकता है। कुछ मामलों में पूरे शरीर में खुजली भी सम्भव है। ध्यान रखना होगा कि खुजली बुखार के जैसे किसी अन्य असामान्य स्थिति का लक्षण हो सकती है। खुजली के साथ चकत्ते अथवा सूजन युक्त उभार सम्भव हैं।
Khujli Itching Problem Solution In Hindi

खुजली के कारण –
जिस प्रकार ज्वर (बुखार) अनेक रोगों का लक्षण हो सकता है उसी प्रकार खुजली भी अनेक चिकित्सात्मक स्थितियों का चिह्न हो सकती है, जैसे –
*. किसी दूषित खाद्य अथवा पेय से
*. कीटादि द्वारा काटे जाने से
*. औषधियों से एलर्जिक रिएक्शन – एंटिफ़ंगल्स, एण्टिबायोटिक्स (विशेषतया सल्फ़ा-बेस्ड), नार्कोटिक पॅनकिलर, एण्टिकान्व्युल्सेण्ट दवाइयाँ
*. अण्डादि माँसाहार (वैसे आजकल रसायन मिश्रित समुद्रों-नदियों, रासायनिक खेती में पले पशु-पक्षियों से इस त्वचादि संक्रमण व अन्य बीमारियों की आशंकाएँ बहुत बलवती हो चुकी हैं)
*. सूखती त्वचा, सोरायसिस अथवा एग्ज़िमा जैसी त्वचा-स्थितियाँ, उदाहरणार्थ एग्ज़िमा में एलर्जी व अत्यधिक खुजली के कारण सतह में सूजन व लालिमा आ जाती है एवं उपचार न किया जाये तो खुजाते-खुजाते ख़ून भी आ सकता है।
*. सौन्दर्य-प्रसाधन के नाम पर प्रयोग किये जा रहे रसायन (जैसे कि क्रीम, पावडर, हेयर-डाए) अथवा अन्य पदार्थ
*. जुएँ, पिनवाम्र्स, स्केबीज़ जैसे परजीवी
*. गर्भावस्था – गर्भावस्था में कुछ स्त्रियों को स्तनों, भुजाओं, उदर अथवा जाँघों में खुजली अनुभव होती है; ऐसा हो सकता है कि एग्ज़िमा जैसी किसी पूर्वस्थिति के उभर आने से ऐसा होता हो
*. यकृत व पित्ताशय (गाल-ब्लेडर) विकृति – पित्ताष्मरी(गाल-स्टोन्स), चोट, ट्यूमर, संक्रमण, सूजन, इनके लक्षणों में तन पर खुजली के साथ हल्के रंग का मल, गहरे रंग का मूत्र, त्वचा अथवा नेत्र पीले पड़ना, पेट में ऊपरी दायीं ओर दर्द, मितली, उल्टी, बुखार सम्भव; यदि लीवर-सिरोसिस निकला तो दस्त, कम भूख व भार घटने, पेट में सूजन, सरलता से रगड़न / रक्तस्राव होने लगना, त्वचा पर मकड़ीसमान रक्तवाहिनी-जाल दिखायी पड़ना, त्वचा अथवा नेत्रों में पीलापन सम्भव।
*. वृक्क व थायरायड रोग
*. कुछ कैन्सर अथवा कैन्सर-उपचार
*. डायपर अथवा गीले कपड़े पहनने से हुए चकत्ते
*. धातु अथवा अन्य सामग्रियाँ पहनने से
*. एड़ियाँ गीली रहने से – अँगुलियों के मध्य चुभन, जलन व खुजली, फफोले भी सम्भव, पाँव की अँगुलियों के नाखून बेरंग, भुरभुरे व मोटे होने लगना, पैरों की त्वचा टुकड़े-टुकड़े होना सम्भव
*. एनीमिया – विशेषतया लौह की कमी से होना वाला एनीमिया
*. ल्युकेमिया – यह एक होता है जो शरीर में श्वेत रक्तकोशिकाओं की संख्या में असामान्य वृद्धि से होता है
*. लिम्फ़ोमा – यह एक प्रकार का कैन्सर है जो सर्वप्रथम प्रतिरक्षा-तन्त्र की लिम्फ़ोसाइट कोशिकाओं में फैलता है जो संक्रमणों से लड़ती हैं
*. तन्त्रिका-तन्त्र पर प्रभाव डाल सकने वाले रोग – जैसे मधुमेह, शिगेल्स, मल्टिपल स्क्लेरोसिस, न्यूरोपॅथी।
खुजली से बचाव व उपचार-
अधिकांशतया खुजली गम्भीर नहीं होती –
*. कोल्ड कम्प्रेस लगायें जिसमें किसी बर्फ़ रखकर अथवा शीतल जल से भरा कोई पैकेट रखकर कुछ सेकण्ड्स के लिये प्रभावित भाग पर रखते व उठाते हैं.सूती कपड़े में
*. हर्बल मास्च्युराइज़िंग लोशन्स लगायें.
*. नहाने के सादे ठण्डे पानी में नीम-नीलगिरि की पत्तियाँ उबालकर ठण्डा किये हुए पानी मिलाकर उससे नहायें.
*. खुरचने, खुजलाने से बचें, जीन्स व सिंथेटिक कपड़े न पहनें.
*. नारियल तेल अथवा ग्वारपाठे में लहसुन की एक-दो कलियों को कूट-मसल कर प्रभावित भाग पर लगायें.
*. रासायनिक साबुनों, शैम्पुओं, डिटर्जेण्ट् एवं अन्य अप्राकृतिक व कृत्रिम पदार्थों से दूर रहें. ‘त्वचा रोग प्रकार व उपचार’ अवश्य पढ़े.
*. सीसा (लेड) इत्यादि मिलाकर तैयार रासायनिक सिन्दूर के बजाय सिन्दूर के पौधे के बीजों से तैयार हर्बल सिन्दूर पैकेट पर लिखा देखकर लगायें.
खुजली यदि अपने आप समाप्त न हो रही हो अथवा कारण समझ न आ रहा हो तो त्वचा रोग विशेषज्ञ से मिलें। हो सकता है कि आपको पखवाड़ों तक नियमित विशिष्ट औषधियों का सेवन करना पड़े, महँगे-सस्ते के फेर में न पड़ते हुए खुजली ठीक लगने के बाद भी त्वचारोग विशेषज्ञ के दर्शाए अनुसार औषधि का पूरा कोर्स सम्पन्न करें, अन्यथा बाद में गम्भीरता बढ़ जाने की आशंका रहती है।
किसी रोग अथवा संक्रमण के प्रभाव स्वरूप खुजली होने पर यदि कारण ज्ञात किये बिना उपचार का प्रयास किया गया तो स्थिति भविष्य में और चिंतनीय हो सकती है क्योंकि कारण का निवारण हो नहीं पाता एवं लक्षण को दबा दिया जाता है।
खुजली की जाँचें –
सर्वप्रथम शारीरिक परीक्षण के दौरान कुछ प्रश्नों के उत्तर खोजने के प्रयास करने होंगे, जैसे कि त्वचा के किस भाग में असहजता है ? विक्षोभ (इरिटेशन) कब से है ? खुजली कब-कब होती व मिट जाती है ? क्या कोई संदिग्ध पदार्थ आपके सम्पर्क में आया है (त्वचा पर अथवा खाने-पीने में) क्या किसी पदार्थ से एलर्जी रही है अथवा ऐसा लगता है कि उससे एलर्जी हो ? खुजली कब अधिक गम्भीर लगने लगती है ? कोई औषधि सेवन करते रहे या कर रहे हैं क्या इत्यादि।
यदि कारण त्वचा रोग विशेषज्ञ के समझ में न आ रहा हो तो निम्नांकित परीक्षण सुझाये जा सकते हैं –
*. रुधिर-परीक्षण – ताकि सम्भावित कारण को परखा जा सके.
*. थायराइड कार्य की जाँच – थायराइड-सम्बन्धी किसी विकार को परखने में, प्रायः थायराइड ग्रंथि की अतिसक्रियता से भी त्वचा रोग होते पाये गये हैं.
*. त्वचा-परीक्षण – यह परखने के लिये कि किसी चीज़ से एलर्जिक रिएक्शन तो नहीं होती.
*. त्वचा की बायोप्सी अथवा स्क्रेपिंग – ताकि संक्रमण को ढूँढा जा सके.
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तो ये थी हमारी पोस्ट खुजली के कारण जाँचें व बचाव के तरीके Khujli Itching Problem Solution In Hindi. आशा करते हैं की आपको पोस्ट पसंद आई होगी और Back Pain Causes Symptoms In Hindi की पूरी जानकारी आपको मिल गयी होगी. Thanks For Giving Your Valuable Time.
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