हर्पीस के लक्षण समस्याएँ व बचाव के उपाय Herpes Symptoms Causes Treatment In Hindi
Herpes Symptoms Causes Treatment In Hindi
हर्पीस बीमारी क्या होती है ?
हर्पीज़ सिम्प्लेक्स वायरस दो प्रकारों के होते हैं जिन्हें ओरल हर्पीज़ (एचएसवी-1) व जैनाइटल हर्पीज़ (एचएसवी-2) कहा जाता है। हर्पीज़ सिम्प्लेक्स वायरसेज़ को एक शब्द में हर्पीज़ कह दिया जाता है।
हर प्रकार का हर्पीज़ लक्षणरहित हो सकता है, वैसे प्रभावित अंगों पर छाले-फफोले, जलन, खुजली व सूजन की सम्भावना रहती है। असाध्य होने से जाँच के बाद भी लक्षणों को घटाने के प्रयास किये जा सकते हैं।
Herpes Symptoms Causes Treatment In Hindi

हर्पीज कितने प्रकार का होता है ?
एचएसवी (HSV)-1 : ओरल हर्पीज़ः लक्षणों में मुख व होंठों के आसपास फोड़े जिन्हें कभी-कभी फ़ीवर ब्लिस्टर्स अथवा कोल्ड सोर्स भी कहते हैं। ओरल हर्पीज़ के विषाणु से जैनाइटल हर्पीज़ हो सकता है परन्तु अधिकांशतया जैनाइटल हर्पीज़ एचएसवी-2 से होता है।
एचएसवी(HSV)-2 : जैनाइटल हर्पीज़ः इसमें फफोले मूत्रांगों अथवा मलाशय के आसपास हो सकते हैं। वैसे इसके फफोले अन्य अंगों में भी दिख सकते हैं परन्तु प्रायः कमर के नीचे ही होते हैं।
हर्पीज कैसे फैलता है ?
ओरल हर्पीज़ मुख के स्रावों अथवा त्वचा के फफोलों के माध्यम से फैलता है; अतः चुम्बन, आलिंगन, टूथब्रश, लिप्स्टिक व बर्तनों की साझेदारी सहित मुखमैथुन से भी फैल सकता है।
जैनाइटल हर्पीज़ प्रायः तभी फैलता है जब सामने वाला भी जैनाइटल हर्पीज़ से ग्रसित हो, यह गुदामैथुन से भी फैलता है। यह स्मरण रहे कि दोनों हर्पीज़ विषाणु तब भी फैल सकते हैं यदि फफोले उपस्थित न हों।
निरोध की बनावट में वास्तव में अतिसूक्ष्म छिद्र होते हैं जिनसे वह इतनी मुलायम व लचीली लगती है जिससे कई सूक्ष्म कणादि आसानी से हस्तान्तरित हो जाते हैं।
स्त्री यदि गर्भवती हो तो संक्रमित गर्भवती से प्रसव से उसके शिशु में भी जैनाइटल हर्पीज़ आ सकता है।
सम्भव है कि हर्पीज़ विषाणु दशको तक व्यक्ति में प्रसुप्त रूप में स्थित हों तथा निम्नांकित कुछ स्थितियों में स्वयं में लक्षण सामने आ सकते हों अथवा रोग का संक्रमण दूसरों में सरलता से हो सकता होः-
* सामान्य बीमारियों में
* थकावट में
* दैहिक अथवा मानसिक तनाव में
* एड्स के कारण इम्युनोसप्रेषन में
* स्टेराॅइड्स व दर्द निवारकों अथवा कीमोथिरेपी में प्रयुक्त दवाइयों से
* प्रभावित भाग में घर्षण अथवा चोट से, जैसे कि लैंगिक सम्बन्ध के दौरान
* मासिक स्राव में
परीक्षण- क्षेत्र में पहले से कार्यरत् चिकित्सक फफोलों का स्वरूप देखकर प्रायः अनुमान लगा ही लेते हैं कि हर्पीज़ हुआ है.
परन्तु प्रामाणिकता से समझना हो तो डीएनऐ अथवा पीसीआर जाँचों व वायरस-कल्चर्स से ऐसे विषाणुओं की उपस्थिति को परखा जा सकता है।
हर्पीज का उपचार
हर्पीज़ का कोई उपचार नहीं किन्तु लक्षणों की गम्भीरता को कम किया जा सकता है, जैसे कि दर्द कम करने एवं घाव जल्दी भरने के लिये औषधीय सेवन कराया जा सकता है।
इस प्रकार फफोलों को शरीर के अन्य भागों तक फैलने की सम्भावना भी घट सकती है।
चूँकि यह विषाण्विक रोग है, अतः जीवाणुरोधी (एण्टीबैक्टीरियल्स) से कोई लाभ नहीं; विषाणुरोधियों (एण्टिवायरल्स) का सेवन कराया जा सकता है किन्तु इनसे भी संक्रमण समाप्त नहीं होगा, बस लक्षणों में राहत अवश्य मिल सकती है।
जैनाइटल हर्पीज़ में मूत्रांग के आसपास दर्द, जलन से लेकर मूत्रोत्सर्ग में कठिनता सम्भव है। शिष्न अथवा योनि से डिस्चार्ज भी सम्भव।
ओरल हर्पीज़ के छालों (कोल्ड सोर्स) में फफोले पड़ने के ठीक पहले झुनझुनी व जलन सम्भव। फफोले अपने आप में भी कष्टपूर्ण हो सकते हैं।
हर्पीज़ व्यक्ति के शरीर में सदा के लिये रह जाता है, यह तन्त्रिका-कोशिकाओ में तब तक प्रसुप्त अवस्था में पड़ा रहता है जब तक कि इसे सक्रिय करने वाला कोई प्रेरक न मिल जाये।
जोख़िम-कारक –
स्त्री होना- जैनाइटल हर्पीज़ अधिक संक्रामक तो स्त्री व पुरुष दोनों के लिये होता है परन्तु फिर भी पुरुषों से स्त्रियों में यह और आसानी से फैल जाता है।
व्यभिचारः जीवनसाथी के अतिरिक्त अन्य से यौनसम्बन्ध रखने वाले विवाह पूर्व यौनसम्बन्धियों व विवाहेतर सम्बन्धियों में हर्पीज़ विशेषतया (जैनाइटल हर्पीज़) सरलता से फैल सकता है।
निरोध किसी संक्रमण व गर्भधारण को रोकने में 90 प्रतिशत से अधिक प्रभावी कभी नहीं हो सकते।
हर्पीज से होने वाली समस्याएं –
अन्य यौन-संक्रामक रोगः जैनाइटल हर्पीज़ होने से एैड्स सहित अन्य यौनसंसर्गज संक्रमण फैलने की सम्भावना बढ़ जाती है।
नवजात-संक्रमणः प्रसव के दौरान माँ से शिशु में हर्पीज़ विशेषतया (जैनाइटल हर्पीज़) आ सकता है जिससे शिशु में मस्तिष्क-क्षति, अंधत्व अथवा मरण तक सम्भव।
मूत्राशय -समस्याएँः कुछ मामलों में जैनाइटल हर्पीज़ से मूत्रमार्ग (मूत्राशय) से बाहर मूत्र ले जाने वाली नली) की सूजन सम्भव।
मूत्रनली के आसपास कई दिनों तक सूजन सम्भव जिससे मूत्राशय खाली करने के लिये कैथेटर प्रवेश कराना आवश्यक हो सकता है। कैथेटर एक कोमल खोखली नली होती है जिसे मूत्रांग से मूत्राशय तक ले जाया जाता है।
मैनिन्जाइटिसः कुछ दुर्लभ उदाहरणों में हर्पीज़ से मस्तिष्क व मेरु-रज्जु के आसपास के सेरेब्रोस्पाइनल फ़्लुड एवं झिल्लियों में सूजन आनी सम्भव।
मलाशय में सूजनः जैनाइटल हर्पीज़ संक्रमण से रेक्टल इन्फ़्लेमेषन (प्रोक्टाइटिस) आ सकती है, विशेषतया समलैंगिक पुरुषों में।
बचाव – हर्पीज़ से बचाव का तरीका अन्य लैंगिक रोगों से सुरक्षा से उपाय के ही समान है- समलैंगिकता, विवाहपूर्व, विवाहेतर सम्बन्धों से दूर रहें।
स्विमिंग पूल व सार्वजनिक स्नानों से बचें। अपने अंतः वस्त्र अलग व स्वच्छ रखें एवं वे सूत-निर्मित हों। नयीचतना पर ‘पर्सनल हायजीन रखने के 25 तरीके’ शीर्षक से आलेख अवश्य पढ़ें।
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