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एनर्जी हेल्थ स्पोर्ट ड्रिंक्स के नुकसान Energy Drink Hazard Side Effects In Hindi
Energy Drink Hazard Side Effects In Hindi
शरीर को तत्काल ऊर्जा प्रदान करने अथवा किन्हीं पोषक तत्त्वों की पर्याप्त मात्रा होने की बातें बढ़-चढ़कर करते हुए लाये गये इन उत्पादों को कभी एनर्जी ड्रिंक्स (Energy Drinks) कहा जाता है तो कभी हेल्थ ड्रिंक्स (Health Drinks) के नाम से बेचा जाता है तो कहीं-कहीं स्पोर्ट-ड्रिंक्स (Sport Drinks) के नाम से भी बाज़ारों में उतारा जाता है जिनमें निर्माताओं द्वारा ऐसे दावे किये जाते हैं कि इनके सेवन से ऊर्जा आयेगी एवं मानसिक सजगता व शारीरिक क्षमता बढ़ेगी।
इस आलेख में इनकी निरर्थकता एवं हानिप्रदता बताने के साथ-साथ हम इनके नैसर्गिक विकल्पों का भी समावेश कर रहे हैं जिन्हें कई भारतीय अब भूल बैठे हैं।
Energy Drink Hazard Side Effects In Hindi

एनर्जी हेल्थ स्पोर्ट ड्रिंक्स के नुकसान
तथाकथित एनर्जी, हेल्थ, स्पोर्ट ड्रिंक्स के घटकों के नुकसानों का उल्लेख करते हुए आइए आरम्भ करे..
कैफ़ीन – इसके दुष्प्रभावों में हृद्-स्पन्द बढ़ना अथवा धड़कनों में अनियमितता, उच्चरक्तचाप, अनिद्रा, निर्जलीकरण (शरीर में पानी की कमी), बेचैनी सम्मिलित है; यदि कैफ़ीन के नषे की स्थिति हो तो सिरदर्द, स्पष्ट थकान, दुष्चिंता (एन्ज़ायटी), थरथराहट व चिड़चिड़ापन भी सम्भव।
गुआराना – कैफ़ीन के इस अन्य स्रोत को कभी-कभी ब्राज़िलियन कोकोआ कहा जाता है। अनिद्रा, भावुकता, बेचैनी, पेट में असहजता, तेज साँसें चलना, प्रलाप-उन्माद इसके लक्षण हैं।
शुगर्स – हृदयरोग, प्रतिरक्षा-तन्त्र में व्यवधान, शरीर में क्रोमियम की कमी (वसाओं व कार्बोहाइड्रेट्स के विखण्डन के लिये एवं मस्तिष्क के कार्यों सहित इन्स्युलिन-कार्य व ग्लुकोज़-विखण्डन के लिये क्रोमियम महत्त्वपूर्ण है), शुगर्स से उम्र बढ़ने के लक्षण शीघ्र दिखने लगते हैं, दंतक्षरण तेजी से होता है व मसूढ़ों के रोगों की आशंका भी बढ़ती है।
टौरीन – यह अमीनो सल्फ़ोनिक अम्ल है जो कि शरीर में भी पाया जाता है व दूध के माध्यम से सेवन किया जा सकता है परन्तु कृत्रिम सेवन से वृक्क-समस्याएँ होने का अनुमान है। यह अमीनो अम्ल प्रोटीन का निर्माण नहीं करता।
जिन्सेंग – दस्त, अनिद्रा, सिरदर्द, तेज धड़कन, रक्तचाप घटना अथवा बढ़ना, स्तनों में संवेदनशीलता व योनि-रक्तस्राव।
बी विटामिन्स – दृष्टि धुँधलाना, उल्टी-दस्त, त्वचा-विकृतियाँ।
ग्लुकुरोनोलेक्टोन- आक्रामक व्यवहार, तनाव, दुष्चिंता, अनिद्रा, अवसाद, आत्मघाती विचार, हृद्वाहिकात्मक विकार, दन्तक्षरण।
योहिम्बे- रक्तचाप में ख़तरनाक परिवर्तन, मतिभ्रम, पक्षाघात्, यकृत, वृक्क व हृदय की समस्याएँ।
कार्निटीन – मितली, उल्टी, पेट में ऐंठन, दस्त।
बिटर ऑरेंज – उच्चरक्तचाप, मूच्र्छा, हृदयाघात्, स्ट्रोक।
विभिन्न देशों में स्थितियाँ
*. कुछ देशो में आपात-विभागों में एनर्जी ड्रिंक सम्बन्धी विज़िट्स विगत वर्षों में दोगुनी हो गयीं जिनमें से कुछ को भर्ती तक करना पड़ा।
*. एनर्जी व हेल्थ ड्रिंक्स को मद्य आदि में मिलाकर पीने के मामले भी बढ़ रहे हैं जिनसे अन्य स्वास्थ्य व सामाजिक समस्याएँ भी तेजी से उपजती हैं।
*. पेशीय सामथ्र्य अथवा शक्ति एवं स्मरणक्षमता को बढ़ाने के दावे मिथ्या पाये गये हैं।
*. तथाकथित एनर्जी, हेल्थ, स्पोर्ट ड्रिंक्स में मिलाये जाने वाले कई घटकों में लत लगाने वाले लक्षण पाये गये हैं।
*. ये हाथों में स्थिरता को कम कर देते हैं।
*. तथाकथित एनर्जी, हेल्थ, स्पोर्ट ड्रिंक्स में कई घटक आपस में मिले होने से विशेष रूप से बच्चों, किशोरों व नवयुवाओं को अधिक हानि पहुँचा देते हैं क्योंकि इनका शारीरिक परिवर्द्धन हो रहा होता है एवं इनका शरीर प्रायः किसी भी पदार्थ को शीघ्र अवशोषित कर लेता है।
*. शरीर के लिये आवश्यक पोषक तत्त्वों को नैसर्गिक रूप में सेवन करने पर ही वे लाभप्रद रहते हैं, कृत्रिम अथवा सांष्लेषक अथवा रासायनिक रूप से लेने पर यदि अभी प्रभावी दिख भी रहे हों तो भी इनकी सीमित मात्रा भी दूरगामी रूप से हानिप्रद सिद्ध होती है, कोई भी प्रयोगशालेय अथवा सिण्थेटिक सप्लिमेण्ट (synthetic supplement) अथवा पोषक नैसर्गिक रूप का विकल्प नहीं हो सकता।
कई देशों में तथाकथित एनर्जी, हेल्थ, स्पोर्ट ड्रिंक्स के नाम पर बेचे जाने वाले उत्पादों में घटकों के मिश्रण एवं किस रोग व आयुस्थिति में वे अधिक घातक हो सकते हैं इत्यादि मुद्दों पर दृढ़ नियम-कानून हैं एवं कुछ घटकों को तो प्रतिबन्धित भी करके रखा गया है जबकि बाज़ारवाद, पूँजीवाद व उपभोक्तावाद में दबे भारत में इन्हें खुलेआम बेचा जा रहा है।
एनर्जी हेल्थ स्पोर्ट ड्रिंक्स के अलावा प्राकृतिक विकल्प
1. नारियल-पानी – तत्काल ऊर्जाप्रदायक एवं Anti-oxidants से भरपूर भी।
2. बेल का शर्बत – ठण्डक लाने व ख़ून साफ़ करने में भी सहायक।
3. नींबू-शिकंजी विद्युत् – इलेक्ट्रोलाइट्स प्रदान करने के साथ पुनर्जलीकरण ( Rehydration) में भी उपयोगी।
4. मठा, लस्सी एवं दहीं – प्रचुर प्रोटीन्स उपलब्ध कराने के ही साथ पाचन-तन्त्र के भी लिये बेहतरीन।
5. सत्तू – साबुत अनाजों को दरदरा पीसकर तैयार सत्तू कार्बोहाइड्रेट्स व सुपाच्य Proteins भी संतुलित अनुपात में प्रदान कर सकता है।
6. फलों व सब्जियों के रस तथा अंकुरित अनाज – ये तो विभिन्न विटामिन्स एवं खनिजों की खान हैं ही। इनमें रेशे व पानी की मात्रा भी पर्याप्त मिल जाती है तथा कच्चे (आगे में न पकाये ) होने से इनके पोषक तत्त्व शरीर को अधिक मात्राओं में सुलभ हो पाते हैं। फलाहार व रसाहार द्वारा चिकित्सा जैसे विषयों में तो कई पुस्तकें भी लिखी जा चुकी हैं।
अंकुरित आहार के नित्य समावेश द्वारा ऐसे कुछ रोगों के सफल उपचार के साक्ष्य भी हैं जिन्हें औषधीय सेवन द्वारा नियन्त्रित करने में सफलता नहीं मिल रही थी। कुछ भी कहो प्रकृति में उत्पन्न समस्याओं का हल प्रकृति में ही कहीं निहित होता है, सांष्लेषिकता अथवा कृत्रिमता तो विकृति की ओर ले जाती है।
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