स्वस्थ शरीर के लिये दादी माँ के 26 नुस्खे ! Dadi Maa Ke 26 Gharelu Nuskhe
नमस्कार दोस्तों.. हेल्थलेख.कॉम में आपका स्वागत है. यहाँ हम स्वास्थ्य रक्षक ऐसे नुस्खों का उल्लेख कर रहे हैं जो हमारे बड़े स्वस्थ शरीर के लिये दादी माँ के 26 नुस्खेज़ुर्गों द्वारा पीढ़ियों से आज़माये जाते रहे हैं.
चूँकि घर-गृहस्थी के सत्ता-संचालन में ‘दादी’ की भूमिका परम्परागत रूप से बड़ी रही है इसलिये इन सदस्या की जानकारियों व अनुभवों के आधार पर इन नुस्खों को ‘दादी माँ के नुस्खे’ कह दिया जाता है।
स्मरण रखें कि नाममात्र की एवं अतिसाधारण स्थितियों में घरेलु नुस्खे अपनाये जा सकते हैं परन्तु यदि स्थिति गम्भीर हो सकने वाली हो अथवा नुस्खे से लाभ न हो तो सम्बन्धित रोग-विशेषज्ञ चिकित्सक से मिलें.. स्वयं अपना अथवा आस-पड़ौस का वैद्य बनने का प्रयास न करें.
Dadi Maa Ke 26 Gharelu Nuskhe


1. जब हो सर्दी को भगाना तो गुड़ व हल्दी खाना (तवे में भूनकर) अथवा गाय का एक पाव दूध गर्म करके उसमें 12 काली मिर्च एवं एक तोला मिश्री को पीसकर मिलाते हुए रात को सोते समय पीना।
2. मंदाग्नि या अपच में अदरख के छोटे-छोटे टुकड़े करके नींबू रस एवं बिल्कुल ज़रा-सा सेंधा नमक डालकर 5-7 टुकड़े कुछ दिन भोजन के साथ खायें.
3. जब घर से हों रवाना तो साथ पानी लेकर ही जाना रास्ते में पानी के लिये क्यों भटकना, वैसे भी यात्रा व धूप आदि में प्यास कभी भी लग सकती है एवं मूत्रोत्सर्ग के उपरान्त भी प्रक्षालन के लिये जल की आवश्यकता पड़ती है।
4. यात्रा पे निकलते समय पानी पीकर चलें, मार्ग में पसीना आने पर एकदम से नहीं बल्कि रुककर पानी पीयें तथा तेज धूप अथवा गर्मी से आकर एकदम से पानी न पियें, न ही पंखे इत्यादि के पास बैठें।
5. हल्दी-दूध दर्द करे दूर – यह उपाय त्वचा, माँसपेशी व अस्थियों सभी के दर्द को दूर करने में सहायक है।
6. पेट दर्द, गैस, फुलाव में नींबू रस-सेंधा नमक पानी का मिश्रण, वैसे अजवायन, काली मिर्च, सेंधा नमक को बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण के रूप में कुछ दिवस गर्म जल से सेवन करने से कई उदर रोगों में आराम लगने का दावा किया जाता है.
अथवा बड़े आकार का नींबू काटकर रात्रि भर ओस में रखे रहने देते हुए प्रात: काल एक गिलास चीनी शरबत में उस नींबू को निचैड़कर एवं नाम मात्र का काला नमक मिलाकर पीने से कब्ज़ में आराम मिल सकता है।
7. अदरख-मुलहठी से खराष का नाश – गले की ख़राश दूर करने में यह संयोजन बड़ा लाभकर रहता है। वैसे सौंठ (सूखे अदरख) व मुलहठी-चूर्ण का भी प्रयोग किया जा सकता है परन्तु टुकड़ों का प्रभाव अधिक होता है।
8. प्याज-रस व लहसुन को सरसों के तैल में गर्म करके चार बूँदें कान में डालने से कान के कीड़ों, दर्द व संक्रमण को दूर करने में सहायता होती है।
9. सेंधा नमक व हल्दी को बारीक पीसकर शुद्ध सरसों-तैल में मिलाकर दंतमंजन करने से दाँत दर्द में आराम मिल सकता है।
10. कपूर को पीसकर दाँतों के सुराखों में लगाने से सड़न धीमी हो जाती है। इस दौरान शीघ्र ही दंत चिकित्सक से स्थिति ठीक करा ले.
11. धतूरे के पत्तों का रस गुदाद्वार पर लगाने से कीड़े नष्ट होते हैं।
12. सेम के पत्तों व प्याज का रस गर्म करके पिलाने से पेट के कीड़ों का नाष होता है।
13. पके हुए अनार का रस गुनगुना गर्म करके पिलाने से बच्चों के उल्टी-दस्त में राहत मिल सकती है।
14. कच्चे आलू को पीसकर रस निकाल लैवें, फिर जले हुए अंग पर उस रस को लगायें अथवा इमली की छाल को जलाकर उसका बारीक चूर्ण बनाकर उल्टी-दस्त में मिलाकर जले हुए भाग पर लगायें।
15. ताजे करेले को महीन काट लें। अब हाथों से उसे परस्पर मल ले ताकि रस निकल आये। सुबह-दिन-शाम लगभग 40-60 मिलीलीटर्स परिमाण में सेवन करें तो मूत्र में जलन व परेशानी ठीक होने की सम्भावना बनेगी।
16. नीम की मुलायम पत्तियों को पीसकर गौ-घृत में पकाकर थोड़ी गर्म स्थिति में फ़ोड़े पर हल्के कपड़े से बाँधें।
17. जामुन की गुठली सुखाकर बारीक पीस ले, प्रतिदिन तीन बार एक-एक चुटकी चूर्ण ताज़े पानी के साथ सेवन करने से मूत्र में शक्कर आने की समस्या से निज़ात मिल सकती है अथवा ताजे करेले का रस डेढ़ से ढाई चम्मच नित्य पीना भी मधुमेह में लाभकर हो सकता है
18. रीढ़ की हड्डी सीधी रखकर भोजन करें तथा भोजन के लिये सर्वोत्तम स्थिति है कि भूमि पर आलती-पालती मारकर बैठें एवं थाली ऊँचे पटे पर रखी हो।
19. थाली में सलादों की मात्रा पर्याप्त रखें, अंकुरित अनाज भी हों तो अति उत्तम।
20. भोजन के तुरंत बाद घूँटभर से अधिक पानी न पियें, आधे-एक घण्टे बाद जीभर के पानी पी सकते हैं क्योंकि खाने के बीच अथवा बाद में तुरंत पानी पीने से पाचन-तन्त्र के पाचक-रस खाने को ठीक से पचा नहीं पाते।
21. तेज धूप में निकलते समय यथासम्भव खाली पेट न निकलें।
22. जौ का आटा व प्याज पीसकर शरीर पर लगाकर नहाने से घमौरियों में आराम मिलता है एवं लू का प्रभाव घटता है।
23. किसी भी मौसम में दाद-खाज-खुजली होने पर घृतकुमारी (ग्वारपाठा), मुल्तानी मिट्टी व गुलाबजल को मिलाकर रूई अथवा अत्यन्त मुलायम कपड़े से हल्के-हल्के मलने से आराम मिलता है।
24. वाम करवट सोवे, काल बैठ के रोवे अर्थात् भोजन के उपरान्त रात को सब सोने का समय आये तो बायीं करवट सोना पाचन के हिसाब से अच्छा माना जाता है।
25. मुख में जितने दाँत हर कौर उतनी बार चबायें अर्थात् (बत्तीस बार) ठीक से चबा-चबाकर ही खाना चाहिए।
26. दोनों बेर जो चले-फिरे, तीन काल जो खाय.. सदा स्वस्थ-सुन्दर रहे जो प्रातहिं उठी नहाय अर्थात् शारीरिक सक्रियता बढ़ाओ, एक साथ ढेर सारा न खाते हुए टुकड़ों में खाओ, सदा स्वस्थ व सुन्दर रहना है तो ब्रह्ममुहूर्त में जागकर स्नान कर लो।
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Very good and nice nuskhe. It’s really work. Thanku sir for this nuskhe share with us.☺️