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चिकनपॉक्स (छोटी माता) स्मालपाक्स के कारण लक्षण व रोकथाम Chickenpox Symtoms Effects Treatment In Hindi
Chickenpox Symtoms Effects Treatment In Hindi
दोस्तों, छोटी माता की समस्या एक बहुत ही कष्टप्रद समस्या है जो संक्रमित व्यक्ति को काफी Pain देती है और व्यक्ति को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ जाता है. इस लेख में हमने आपके साथ चिकनपॉक्स एवं स्मालपॉक्स के बारे में कुछ जानकारियां शेयर कर रहे है जो आपकी काफी काम आ सकते है.
चिकनपॉक्स एवं स्मालपॉक्स में नामगत समानता होने एवं दोनों में चकत्ते व फफोले होने के बावजूद ये अत्यधिक अलग-अलग रोग हैं। तो आइये देखते है चिकनपॉक्स एवं स्मालपाक्स में अन्तर :
Chickenpox Symtoms Effects Treatment In Hindi

चिकनपॉक्स एवं स्मालपाक्स में अन्तर :
1. चिकनपॉक्स बहुत होता देखा जा रहा है (विशेषतया बच्चों में) जबकि इसका टीका उपलब्ध है परन्तु दूसरी ओर स्मालपॉक्स के प्रकरण आजकल नगण्य नज़र आते हैं। इसका भी टीका उपलब्ध है। स्मालपॉक्स के ज्ञात सैम्पल्स दो ही सुरक्शित अनुसंधान-प्रयोगशालाओं में हैंः एक यू.एस. में व एक रूस में।
2. चिकनपॉक्स प्रायः मंद रहता है जबकि स्मालपॉक्स अधिकांशतया मारक हुआ करता था।
3. चिकनपॉक्स का कारक वेरिसेला ज़ास्टर (हर्पीज़) नामक विशाणु है जबकि स्मालपॉक्स वैरियोला (आर्थोपाक्सवायरस वंश) नामक विषाणु से होता है।
4. चिकनपॉक्स में खुजलीयुक्त फफोले पड़ जाते हैं जो कि बाद में पपड़ी बनकर झड़ जाते हैं, साथ में ज्वर व थकान जैसे अन्य लक्षण हैं, यह रोग प्रायः 5 से 7 दिनों तक रहता है जबकि स्मालपॉक्स में चकत्ते, फफोले व ज्वर तो आता था (चिकनपॉक्स के समान) किन्तु ये लक्शण अधिक गम्भीर हुआ करते थे।
10 में से 3 की मृत्यु हो जाया करती थी। जो जीवित बचते थे उनमें से कुछ अंधत्व से ग्रसित हो जाते थे अथवा उनके शरीर पर स्थायी निशान हो जाया करते थे। ऐसा आकलन है कि बीसवीं शताब्दी में इससे 300 मिलियन्स से अधिक लोग काल के गाल में समाये।
5. त्वचा पर चिकनपॉक्स व स्मालपॉक्स के लक्शणों में अन्तर अप्रशिक्षित नेत्रों से समझ पाना कठिन है। चिकनपॉक्स के निशान शरीर के विभिन्न भागों में भिन्न-भिन्न समय पर दिखायी देते हैं.
प्रायः आमाशय, छाती व पीठ पर दिखते हैं किन्तु पैर के तलवों अथवा हथेलियों पर कम ही देखे गये हैं जबकि स्मालपॉक्स के निशान एक ही समय पर समूचे शरीर में नज़र आते थे, अधिकांशतया मुख, भुजाओं व पैरों पर एवं कभी-कभी हथेलियों व तलवों पर तथा ये सभी समान दिखायी देते थे।
6. बच्चों (व कुछ वयस्कों) को चिकनपॉक्स-टीका आवश्यक है परन्तु स्मालपॉक्स-टीका प्रायः किसी को आवश्यक नहीं।
7. चिकनपॉक्स चाहे अधिकांश व्यक्तियों के लिये धीमा हो परन्तु इससे कभी-कभी ख़तरनाक समस्याएँ आ सकती हैं, विशेषतया बच्चों में एवं दुर्बल प्रतिरक्षा तन्त्र वाले लोगों में। इसीलिये 1 वर्ष की आयु के आसपास एक बार टीका लगाने की सलाह दी जाती है एवं 4 से 6 वर्षायु के मध्य बूस्टर शाट देने का अनुमोदन किया जाता है।
जिन बड़े बच्चों व कुछ वयस्कों को चिकनपॉक्स-टीका न लगाया गया हो उन्हें भी यह टीका लगाने से 98 प्रतिशत तक की प्रभावकारिता देखी गयी है जबकि स्मालपॉक्स-टीके की आवश्यकता अब नहीं रही क्योंकि स्मालपॉक्स होना बन्द-सा हो गया है।
यूनाइटेड स्टेट्स में सन् 1972 के बाद जन्मे अधिकांश लोगों को कभी टीका नहीं लगाया गया, अपवादतः स्मालपॉक्स अथवा सम्बन्धित विषाणुओं से सम्बन्धित प्रयोगशालाओं में कार्यरत् व्यक्तियों एवं थलसेना के कुछ सदस्यों को यह टीका लगाया जाता है।
चिकनपॉक्स व स्मालपॉक्स दोनों में बरती जाने वाली सावधानियाँ व बचाव :
1. ढीले व सूत्री वस्त्र पहनें.
2. संक्रमण यदि बच्चे को हुआ हो एवं यदि ग़र्मी न पड़ रही हो तो सोते बच्चे के हाथों में दस्ताने जैसा कुछ चढ़ा दें ताकि नींद में वह खुजली के कारण अपनी त्वचा, नाक, नेत्र इत्यादि को किसी प्रकार खुरच न सके, व्यक्ति की आयु जो भी हो यदि उसने प्रभावित स्थानों को खुजलाया तो त्वचा पर पड़ने वाले निशान अधिक अवधि तक बने रह सकते हैं, संक्रमण अन्य भागों में एवं अन्य व्यक्तियों में और तेजी से फैल सकता है;
3. स्टेरायड इत्यादि रसायनों का प्रयोग करने वालों को उपरोक्त संक्रमणों की आशंका अधिक रहती है, बिना चिकित्सक-अनुमोदन के किसी औषधि का सेवन न करें.
4. गुनगुने पानी से नहाना किन्हीं विशेष त्वचारोगों में एवं सीमित अवधि के ही लिये सुझाया जा सकता है, साधारण शीतल जल से स्नान करें, हो सके तो नीम की पत्तियाँ उबालकर ठण्डा किये पानी को नहाने के पानी में मिलाकर।
स्नान व हाथ-पैरों को धोने के बाद त्वचा को रगड़ना-घिसना बिल्कुल नहीं है; अपने प्रयोग किये कपड़े एकदम नर्म व पतले हों एवं उन्हें अलग रखें व नित्य डेटोल से धोयें। समग्रता में भी साफ-सफ़ाई रखें। नाखूनों को काटते हुए यथासम्भव छोटे रखें.
5. संक्रमण होने की स्थिति में घबरायें नहीं, खान-पान में तरल की मात्रा बढ़ायें व अधिक गरम सामग्रियाँ न खायें तथा तेज नमक-मिर्च-मसालेदार भोजन ये यथासम्भव परहेज करें.
6. लम्बे समय से चले आ रहे त्वचारोग अथवा फेफड़ों-सम्बन्धी रोग होने की स्थिति में अथवा गर्भावस्था में विशेष सतर्कता बरतनी आवश्यक है, यदि किसी को त्वचा पर चकत्ते अथवा खुजली जैसे थोड़े भी लक्षण हों जो उस व्यक्ति व उसके द्वारा स्पर्श की हुई सामग्रियों से यथासम्भव दूर रहें।
7. अन्य सभी भी ऐसी सावधानियाँ बरतें जो अन्य किसी भी त्वचा इत्यादि संक्रामक रोगों को फैलने से रोकने के लिये बरती जाती हैं, जैसे कि हाथ न मिलायें, गले न मिलें, हाथ-पैर अधिक धोते रहें, अपने बर्तन-कपड़े स्वयं धोयें एवं संदिग्ध लोगों के कपड़े-तौलिए, मौजे इत्यादि प्रयोग न करें.
घर-कार्यालय इत्यादि में बारम्बार प्रयोग में आने वाली सतहों (जैसे कि कीबोर्ड, दरवाजों के हत्थे इत्यादि) को डेटोल अथवा अन्य सैनाटाइज़र से नियमित पौंछते रहें, बारम्बार व अनावश्यक रूप से नेत्र नाक व त्वचा को छूने की आदत छोड़ें.
छींकते-खाँसते समय रुमाल अथवा गमछा रखें जिसे स्वयं बारम्बार धोना है तथा यदि किसी कारणवश रुमाल न निकाल पायें तो छींकते-खाँसते समय अपनी बाँह सामने ले आयें तथा खुले में न थूकें, शेविंग कराते समय अपना रुमाल अलग से ले जायें एवं सफाई का ध्यान वहाँ भी अलग से स्वयं रखें, खेती-रसायनों (एग्रोकेमिकल्स) से दूर रहें व तथाकथित सौन्दर्य-प्रसाधनों के नाम पर रसायनों का प्रयोग बिना चिकित्सात्मक परामर्श के न करें, ‘पर्सनल हायजीन का ध्यान कैसे रखें’ आलेख अवश्य पढ़ें।
चिकनपॉक्स एवं स्मालपाक्स के टीके व उपचार :
टीकों का उल्लेख ऊपर किया जा चुका है, लक्शण दिखने पर शीघ्र चिकित्सक से मिलें। किसी अंधविश्वास के चक्कर में जान से खिलवाड़ न होने दें।
वैसे भी इस प्रकार के लक्षणों वाले अन्य रोग भी हो सकते हैं, जैसे कि मीज़ल्स (इसमें कई लक्षण चिकनपॉक्स जैसे हो सकते हैं परन्तु अधिकांशतः अन्तर ये पाये जाते हैं कि मीज़ल्स में बहती नाक, गले में सूजन, खाँसी व नेत्रश्लेश्माशोथ (कन्जक्टिवाइटिस) जैसे लक्षण दिखने की सम्भावना अधिक रहती है।
एक विनती – दोस्तों, आपको यह आर्टिकल चिकनपॉक्स एवं स्मालपाक्स के कारण लक्षण व रोकथाम, Chhoti Mata Ki Bimari (Chickenpox Symtoms Effects Treatment In Hindi) कैसे लगा.. हमें कमेंट जरुर करे. इस अपने दोस्तों के साथ भी शेयर जरुर करे.