चेहरे की खूबसूरती बढाने के 20 तरीके Chehre Ki Khubsurti Badhane Ke 20 Upay
Chehre Ki Khubsurti Badhane Ke 20 Upay
आजकल चेहरे के रंग, ताज़गी, त्वचा इत्यादि के लिये विभिन्न प्रकार के रासायनिक कॉस्मेटिक्स (Cosmetics)चलन में हैं. ये रसायन कुछ समय के लिये एक बनावटी चमक ही दे सकते हैं And त्वचा व रक्त तक में कई दुष्प्रभाव छोड़ जाते हैं सो अलग।
यहाँ मुल्तानी मिट्टी सहित घृतकुमारी (Alovera) इत्यादि जितने भी हर्बल (herbal ) व Home Remodies दर्शाए जा रहे हैं उनमें से प्रत्येक का प्रयोग हर प्रकार की स्थिति व त्वचा में कर सकते हैं.
कम-अधिक अनुपात में परस्पर मिलाकर भी, संतरे का प्रयोग अकेले नहीं करना हैं, देखें अन्त में सावधानियाँ। यहाँ बेहतर त्वचा के लिये ‘क्या न करें’ एवं ‘क्या करें’ की एक सूची तैयार कर लेते हैं.
Chehre Ki Khubsurti Badhane Ke 20 Upay

1. रासायनिक कोस्मेटिक इत्यादि से बचें :
त्वचा पर Sunscreen इत्यादि के नाम पर लगाये जाने वाले Creams से त्वचा के प्राकृतिक रन्ध्र (छिद्र) बन्द हो जाते हैं, वैसे तो व्यक्ति को हर मौसम में सहज रहने की आदत होनी चाहिए.
परन्तु यदि फिर भी तापमान यदि सामान्य से बहुत अधिक हो अथवा धूपसम्बन्धी कोई त्वचारोग हो गया हो एवं तात्कालिक रूप से आप सन्स्क्रीन्स लगाना ही चाहें (मात्र कुछ दिनों के लिये) तो लेबल देख लें कि उसमें ‘नानकोमेडोजेनिक And नानएक्नेजेनिक लिखा हो.
ऐसा लिखा होने का तात्पर्य होगा कि इससे मुँहासे नहीं पनपेंगे क्योंकि त्वक्-रन्ध्र बन्द नहीं होंगे। वैसे चाहें तो नैसर्गिक कोस्मेटिक्स का ही प्रयोग करें।
मृत कोशिकाएँ एकत्र होती रहने एवं रसायनों के कारण त्वचा के ये प्राकृतिक रन्ध्र बन्द हो जाने से मुँहासे (Acne) पनपने लगते हैं जिनके कारण त्वचा के ठीक नीचे स्थित वसा जैसी ग्रंथियों का तरल बाहर नहीं आ पाता एवं ठोस फुँसी जैसे रूप में उभर आता है।
नैसर्गिक सन्स्क्रीन घर पर बनाकर लगा सकते हैं. कैसे ? घृतकुमारी (ग्वारपाठा) व बादाम-तैल को एक बार लगाने लायक मात्रा में मिलाकर चेहरे पर मलें। इससे बिना केमिकल सनप्रोटेक्शन फ़िल्टर (सनप्रोटेक्शन फ़िल्टर (Sun Protection Filter)) के आप त्वचा को झाइयों से व त्वचा के झुलसने से बचा सकेंगे।
रासायनिक सन्स्क्रीन्स सहित अन्य कोस्मेटिक व तथाकथित ब्यूटी प्रोडक्ट्स में पॅराबेन्स, आग्ज़िबेन्ज़ोन, एवोबेन्ज़ोन, आक्टिसेलेट, अल्कोहल, आक्टोक्रिलीन, होमोसेलेट एवं आक्टिनाग्ज़ेट, पॅरा-एमिनोबेन्ज़ायक एसिड (पाबा) सम्मिलित होते हैं जिनसे विविध दुष्प्रभाव पड़ते सिद्ध हुए हैं.
जैसे कि त्वचा पर लगाये आक्सिबेन्ज़ोन को गर्भवती माता (Pregnant women) के रक्त से होते हुए व दूध के माध्यम से उसके गर्भस्थ शिशु तक में पाया गया है क्योंकि त्वचा पर कुछ भी लगायें वह भीतर अवशोषित होगा ही, लगभग हर अमेरिकन माँ के दूध में इसकी उपस्थिति का दावा किया जाता है.
यह हार्मोनल असंतुलन ला देता है तथा त्वचा की एलर्जी की आशंका भी बढ़ाता है। आक्टिनाग्ज़ेट (आक्टाइल मेथाक्सीसिन्नामेट) की भी पहुँच माँ के दुग्ध तक होती है, यह प्रजनन, थायॅरायड व व्यवहारगत परिवर्तनों के लिये ज़िम्मेदार देखा गया है।
होमोसेलेट भी मानव-दुग्ध में पाया गया है एवं एस्ट्रोजन, एण्ड्रोजन व प्रोजेस्टॅरान हार्मोन्स की कार्यप्रणाली में व्यवधान लाता है तथा रक्त में इसके उत्पाद विषाक्त रहते हैं।
आक्टिसेलेट त्वचा के भीतर चला जाता है, आक्टोक्रिलीन रक्त व दूध दोनों में पाया जा चुका है जो एलर्जी पैदा करता रहता है। एवोबेन्ज़ोन ख़ून में उतरकर एलर्जी करता है।
2. हर्बल टोनर का प्रयोग करें :
रासायनिक टोनर से त्वचा में सूखापन अथवा रूखापन आता जायेगा। हर्बल प्रयोग में ग्वार पाठा अथवा गुलाबजल का प्रयोग करें, गुलाब की गिरी हुई अथवा बासी पँखुड़ियों को भी पानी में मसलकर त्वचा में लगा सकते हैं.
सामान्य त्वचा के लिये यह बेहतरीन स्किन-टोनर (Skin Tonner) है। ग्वारपाठे व खीरे को कुचलने से विटामिन-सी भी त्वचा को नैसर्गिक रूप से मिल जाता है जिससे त्वचा को Antioxidant मिल जाते हैं जिससे धूप से झुलसी व बुढ़ापे में दुर्बल पड़ती त्वचा को कुछ सामान्य करने में सहायता हो जाती है।
नींबू के छिलके रेशे व अंगूर को कुचलकर चेहरे पर लगाकर गहरे काले धब्बों को हल्का करना थोड़ा सरल हो जाता है। स्किन-टोनर के रूप में एवं त्वचा की तैलीयता घटाने व इसे नम (मास्च्युराइज़) रखने में जैतून का प्रयोग किया जा सकता है।
3. अम्ल मिश्रित कोस्मेटिक्स :
(जैसे कि स्किन इन्फ़्लेमेशन क्रीम्स व ब्लर क्रीम्स) से त्वचा धूप के प्रति संवेदनशील हो जाती है एवं त्वचा अनावश्यक रूप से लाल पड़ने सहित पीलिंग सम्भव है। इसलिये ग्वारपाठे को नारियल तैल में मिलाकर आज़मायें।
4. भोजन :
मसालेदार, किण्वित (फ़र्मेण्टेड), चटपटे भोजन, चिप्स, चटनी, अचार व नमकीन सहित तले-भुने पदार्थ त्वचा के भी स्वास्थ्य के लिये ठीक नहीं कहलाते, इसलिये ताज़े व मौसमी खाद्य खायें। माँसाहार, मद्य इत्यादि व्यसनों से दूर रहें।
5. शारीरिक सक्रियता बरतें :
बैठे न रहें, सायकल से कार्यालय व अन्य स्थान जायें तथा चेहरे, जबड़ों व गर्दन को भी रोज़ कुछ मिनट्स आड़ा-तिरछा करें, होंठों को गोल आकृति में होल्ड करें, गर्दन आगे-पीछे, दायें-बायें एवं घड़ी की व विपरीत दिषा में आहिस्ता-आहिस्ता घुमायें।
ताकत लगाकर अपने दोनों जबड़ों को विपरीत दिशा में ले जाकर अधिकतम मुँह खोलें, इस प्रकार झुर्रियों को दूर करने एवं चिबुक (ठोडी) को ठीक रखने में भी सहायता हो जायेगी।
सुदर्शन क्रिया उपयोगी तथा लम्बी-लम्बी गहरी साँसें लेने से तनाव दूर करने में सहायता होती है एवं त्वचा को ठीक रखने में भी ये सहायक हैं क्योंकि कार्टिसोल नामक तनाव-हार्मोन त्वचा को तैलीय अथवा अन्य प्रकार से ख़राब करता जाता है.
वैसे अन्य सन्दर्भों में भी जितना योग-ध्यान करेंगे त्वचा उतनी दमकेगी यह तो सहस्राब्दियों से भारतीयों के लिये जाना-माना तथ्य है।
6. गर्म पानी से न नहायें :
ग़ुनग़ुने पानी से भी त्वचा न धोयें, अन्यथा त्वचा की नैसर्गिक चमक दूर होगी एवं रूखापन आयेगा वो अलग।
7. गुलाब-जल :
यह आँख़ों की सूजन व चेहरे की थकावट दूर करने में उपयोगी है, यह त्वचा के क्षाराम्लस्तर (पीएच) को बनाये रखने में एवं त्वचा में प्राकृतिक नमी बढ़ाने में उपयोगी है, रूई के फ़ाहे अथवा रुमाल गुलाबजल से भिगोकर पलकों व चेहरे पर रखें एवं बिल्कुल हल्के हाथों से उसे दबाते रहें।
8. झुलसी त्वचा से राहत पाने में देसी काले चने का बेसन उपयोगी है। बेसन हो अथवा कोई अन्य लेप उसे लगाने का सही तरीका अपनायें, चेहरे पर साधारणतया आगे-पीछे, ऊपर-नीचे एकदम हल्के हाथ से घिसटायें एवं घड़ी की व विपरीत दिशा में घुमावदार मालिश जैसी करें।
9. त्वचा की तैलीयता को कम करना हो तो टमाटर मसलकर लगायें।
10. मृत त्वचा निकालनी हो तो पपीते के छिलके दुचलकर हल्के हाथों से रगड़ें।
11. कील-मुँहासों व फ़ोड़े-फुँसियों को शीघ्र मिटाना हो तो इन्हें कुरेदें अथवा खुजलायें नहीं, अन्यथा इनमें फैलाव हो सकता है, सूजन आ सकती है, दाग पड़ सकते हैं।
नारियल के तैल, सरसों के तैल व बादाम के तैल में कई त्वचा-समस्याओं का उपचार छुपा है। तैलीय त्वचा से जुड़ी स्थितियों से उबरने के लिये सादे आटे अथवा बेसन का प्रयोग नहाने से पहले पर्याप्त रहता है।
12. रात को सोने से पहले मेक-अप को हटायें : यह आवश्यक है क्योंकि लेटने के बाद भी आपकी पूरी त्वचा को रातभर साँसें लेने की आवश्यकता होती है।
इसके लिये या तो जैतून का तैल पूरे मुख पर लगाकर मलें एवं अलग से रखे गये पुराने सूती रुमाल से पौंछकर साफ पानी से धो लें।
13. चेहरे की साप्ताहिक सफाई :
अखरोट के चूर्ण को दहीं में मिलाकर चेहरे को मलकर पानी से धोयें अथवा सबसे सरल यह कि एक-एक चुटकी बेसन अथवा आटा (अथवा ये दोनों) एवं एक चुटकी हल्दी को पानी में मिलाकर अर्द्धतरल तैयार करके स्नान से पहले चेहरे पर हल्के हाथ से रगड़ें एवं स्नान कर लैवें।
यह प्रयोग त्वचा सम्बन्धी विभिन्न परेशानियों को दूर करने सहित त्वचा से ताज़गी लाने में उपयोगी है, ऐसा लगेगा मानो त्वचा साँस लेना सीख गयी हो। इससे नहाते समय पूरे Body में यह Pest जायेगा जिससे नैसर्गिक स्नान हो जायेगा।
14. हाथों से हल्के हाथ से त्वचा रगड़ने के लिये आयुर्वेदीय स्क्रब्स (Ayurvedic Face Scrub) का प्रयोग कर सकते हैं ताकि त्वचा बेहतर ढंग से साँस ले सके।
15. बटरा की दाल अथवा सूखी मटर अथवा काले चने में थोड़ी हल्दी, कपूर का दाल-बराबर टुकड़ा हाथ से मसलकर चन्दन-चूर्ण में मिलाकर दूध, पानी, गुलाबजल में मिलाकर लगायें। धब्बे हल्के करने एवं कीटाणुओं सहित मैल दूर करने में यह उपयोगी रहेगा।
16. बेकिंग सोडा के प्रयोग से बचें :
स्वस्थ त्वचा कुछ अम्लीय होती है एवं इससे त्वचा के अम्लीय रूप के कारण एक सुरक्षात्मक पर्त बनी रहती है, बेकिंग सोडा (सोडियम बाईकार्बोनेट) से त्वचा की यह अम्लीय व तैलीय पर्त निकल जाती है.
त्वचा का क्षाराम्लस्तर(पीएच) मान बिगड़ जाता है एवं वे नैसर्गिक जीवाणु नष्ट होने लगते हैं जो त्वचा को संक्रमण व मुँहासों से बचाये रखते हैं।
17. नींबूवर्गीय फलों के छिलके :
नींबू, संतरा व मौसम्बी सहित नींबू वर्गीय खट्टे फलों में नैसर्गिक रूप में सिट्रिक अम्ल की काफ़ी मात्रा होती है.
इसलिये इनके छिलके फेंकने के बजाय सहेजकर रखें जिन्हें कुचलकर बेसन अथवा आटे अथवा मुल्तानी मिट्टी में मिलाकर लगाने से त्वचा की जलन कम होगी, दाग के निशान हल्के पड़ने लगेंगे, झुर्रियाँ घटाने में सहायता होगी .
मेलानिन (मानव का त्वचा-वर्णक) त्वचा से दूर होगा जिससे रंगत निखारने में भी यह उपयोगी है। ध्यान रहे कि मेलानिन का उत्पादन रोकने के दिखावटी दावों में न आयें।
18. घृतकुमारी (ग्वारपाठा एलोवेरा) :
दाग-धब्बों को दूर करना हो तो एलोवेरा का जेल लाकर अथवा घर-कार्यालय में इस पौधे को लगाकर इसके पत्ते का पेस्ट बनाकर चेहरे पर मलकर सोयें व रातभर इसे लगाये रखने के बाद सुबह नहाते समय धो लें।
19. तुलसी-दल :
तुलसी की पत्तियों व नीम की पत्तियों को पीसकर अथवा सूखी पत्तियों का चूर्ण बनाकर पिसी हल्दी और मुल्तानी मिट्टी मिला लें. चेहरा मुलायम व स्वच्छ बनेगा।
चेहरे को बेहतर बनाते हेउ रखे ये सावधानियाँ :
1. कभी किसी भी नुस्खे का प्रयोग रोज़ न करें।
2. संतरें इत्यादि नींबू वर्गीय फलों में कुछ मनुष्यों के लिये थोड़े एलर्जिक तत्त्व हो सकते हैं, इसलिये इनका प्रयोग अकेले न करते हुए आटे अथवा मुल्ताटी मिट्टी इत्यादि में मिलाकर करें एवं प्रयोग मात्रा व आवृत्ति सहित अवधि भी सीमित रखें।
3. बासे व परिरक्षित फलों के बजाय स्थानीय रूप से उपलब्ध देसी फल-भाजियाँ, हरी पत्तेदार सब्जी-तरकारियाँ खायें ताकि रक्त से होकर पर्याप्त खनिज लवण, विटॅमिन्स व प्रोटीन्स त्वचा तक पहुँचें। इनका विटामिन-सी त्वचा को फ़ायदा पहुँचायेगा परन्तु रासायनिक सप्लिमेण्ट्स के रूप में इनका प्रयोग नहीं करना हैं।
कम वसा (चर्बी) व कम शक्कर वाले शाकाहार से दमकती त्वचा पाना सरल हो जाता है। कृत्रिम शक्कर से दूर रहेंगे जो शरीर के इन्स्युलिन को नियन्त्रण में रखने में आसानी होगी जिससे संतुलित पोषकों द्वारा त्वचा का स्वास्थ्य बना रहता है।
4. साधारणतया कोई भी लेप लगाकर तुरंत न धो लें ( नींबूवर्गीय फलों की बात अलग है). लेप लगाकर उसे कुछ मिनट्स अथवा घण्टे अथवा रात भर लगे रहने दें एवं सूख जाने दें, फिर हल्के से निकालें व धोयें।
5. शरीर में पानी की कमी पाचन व अन्य तन्त्रों ही नहीं बल्कि त्वचा के भी लिये बड़ी हानिप्रद होती ही है, ख़ूब सारा पानी पियें व मटके का पानी प्रतिदिन पीयें, दिन अथवा सप्ताह में कभी-कभी ताँबे के पात्र में रखा पानी पियें, कोल्ड व सोफ़्ट ड्रिंक्स एवं रेफ्रि़जरेटर में रखे पानी इत्यादि अप्राकृतिक पेयों से सदैव परहेज बरतें।
पानी सहित अन्य नैसर्गिक तरल पदार्थ व तरलों की अधिकता वाले खाद्य पदार्थों का प्रयोग करें, जैसे कि चुकंदर, तरबूज, ककड़ी व टमाटर सहित कई सलाद।
6. तकिये का खोल व ओढ़ने-बिछाने के कपड़े नियमित रूप से धोयें क्योंकि इनमें मानव के शरीर की मृत कोशिकाओं व कान के मैल तक का जमाव हो सकता है.
जिससे ये कील-मुँहासों सहित अन्य कई त्वचारोगों को बढ़ावा दे सकते हैं. इन्हें धोने के बाद अन्तिम धोवन में नीम की उबली पत्तियों की दो-तीन बूँदें मिला लें तो सोने में सुहागा।
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