मुख व साँस की दुर्गन्ध के लक्षण कारण व उपचार Bad Breath Symptoms Causes Treatment In Hindi
Bad Breath Symptoms Causes Treatment In Hindi
साँस की दुर्गन्ध क्या है ?
मुख व साँस में से कुछ दुर्गन्ध का आना कोई रोग नहीं क्योंकि पाचन-तन्त्र में भोजन के पाचन के दौरान उठने वाली गैसों से ऐसा सम्भव है एवं श्वसन के दौरान कई उत्सर्जी गैसें निकलती रहती हैं किन्तु अत्यधिक अथवा असहनीय दुर्गन्ध आने लगे तो वह किसी रोग का संकेत हो सकती है उस रोग की चिकित्सा आवश्यक हो सकती है।
साँस की दुर्गन्ध के स्रोत – मुख, दाँत, जिह्वा अथवा किसी स्वास्थ्य-समस्या के प्रभाव स्वरूप साँसों में अथवा मुख से तेज दुर्गन्ध आ सकती है जो अल्पकालिक से लेकर दीर्घकालिक रूप लिये हो सकती है।
मुख व साँस की दुर्गन्ध के लक्षण :
*. साँस छोड़ते समय अथवा बात करते समय दुर्गन्ध अनुभव होना, विशेषतया दूसरे को
*. मुख में कोई ख़राब स्वाद अनुभव होना भी सम्भव
Bad Breath Symptoms Causes Treatment In Hindi

साँस की दुर्गन्ध के कारण :
*. दाँतों की अस्वच्छता – ठीक से मंजन न करने के कारण पिछला खाया खाना अनेक दिनों तक दाँतों में फँसा रह सकता है, विभिन्न स्थानों में फँसे खाद्यांशो में जीवाणु लग जाते हैं। दाँतों में अटककर सड़ रहे खाने एवं जीवाणुओं द्वारा वहाँ निवास से दुर्गन्ध बढ़नी सम्भव है। दंत स्वास्थ्य के लिये ‘दाँतों का पीलापन’ नामक आलेख अवश्य पढ़ें।
दाँतों की सतह पर भी प्लेक का जमाव होता रहता है जिसे नित्य ढंग से मंजन करके निकाला जाना आवश्यक है। इस प्लेक से केविटी बनना एवं पेरियोडाण्टल रोग भी सम्भव हैं।
*. डेन्चर – यदि नकली दाँत अथवा अन्य कोई कृत्रिम सामग्री मुख में लगा रखी हो तो उसे साफ़ करते रहना महत्त्वपूर्ण होता है, अन्यथा उनमें काफ़ी दुर्गन्ध जनक पदार्थों का जमाव आसानी से हो सकता है।
*. मादक द्रव्यों का सेवन – धूम्रपान व मदिरापान से तो मौखिक दुर्गन्ध की उत्पत्ति निश्चित हो ही जाती है, इसलिये इनसे पूर्णतया दूरी बना लेना अनिवार्य है। इनके घटक रक्तधारा में मिलकर भी फेफड़ों व हृदय के माध्यम से पूरे शरीर में फैलकर विविध हानियाँ पहुँचाते हैं। मन से विटामिन इत्यादि तथाकथित सप्लिमेण्ट्स का प्रयोग भी मुख व श्वास में दुर्गन्ध का कारण बन सकता है।
*. सूखता मुख – यदि पर्याप्त लार न बन पाती हो अथवा पानी पर्याप्त न पीते हों तो मुँह सूखने से दुर्गन्ध उत्पन्न करने वाली गैसें अधिक बनने लगती हैं। यदि उच्चरक्तचाप अथवा मूत्र-समस्याएँ हों तो इनकी दवाइयाँ समय पर लेने के सन्दर्भ में भी अधिक जागरुक रहें।
*. पेरियोडाण्टल रोग – मसूढ़ों को साफ़ न रखने से ऐसे रोग सरलता से हो जाते हैं। समय के साथ प्लेक कठोर होकर टार्टर बन जाता है जिसे ब्रशिंग से नहीं हटाया जा सकता, दंतचिकित्सक के पास जाकर समुचित डेण्टल क्लीनिंग आवश्यक हो जाती है।
यह टार्टर गर्त अथवा छेद तक बना सकता है एवं दाँतों व मसूढ़ों के बीच में जमकर स्थान घेर सकता है। माँसाहार, जंक फ़ूड व जीवाणुओं सहित डेण्टल प्लेक से स्थिति दुर्गन्धकारी हो जाती है।
*. साइनस, मुख व गले की दुर्दशाएँ – साइनस संक्रमण, पोस्टनेज़ल ड्रैनेज, क्रानिक ब्रोंकाइटिस, ऊपरी अथवा निचले श्वसन-तन्त्र में कोई संक्रमण, टान्सिल स्टोन्स से भी मुख में दुर्गन्ध सम्भव है, हो सकता है कि टान्सिल स्टोन्स से जीवाणु एकत्र होते चले जा रहे हों, इस कारण दुर्गन्ध आने लगी हो।
*. वृक्करोग
*. यकृत-रोग
*. मधुमेह
*. स्लीप एप्निया – इसमें नींद में साँसें आनी अपने आप बन्द होती व चालू होती जाती हैं।
*. गेस्ट्रोइसोफ़ेगल रिफ़्लक्स डिसआर्डर – आमाशय के अम्लों का ऊपर की ओर आना साँस व मुख की दुर्गन्ध का मुख्य कारण देखा जाता रहा है।
*. कुछ कैन्सर्स
*. कोई उपचयापचयी (मेटाबालिक) विकार जिससे कुछ रसायन इस प्रकार बनते हों कि दुर्गन्ध पनप रही हो
दुर्गन्ध द्वारा रोग का अनुमान
वैसे तो चिकित्सात्मक जाँच के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुँचने की चर्चा की जा सकती है परन्तु हो सकता है कि वृक्क अथवा यकृत में समस्या अथवा मधुमेह होने पर मत्स्य जैसी गन्ध आये तथा मधुमेह अनियन्त्रित होने की दशा में फल जैसी गन्ध आती हो।
साँस की दुर्गन्ध की जाँचें :
दुर्गन्ध यदि असहनीय या अत्यधिक लगे तो ही उसके पीछे छुपे रोग को जाँचकर उस रोग के उपचार की आवश्यकता होगी। मात्र दुर्गन्ध के आधार पर उपचार की आवश्यकता नहीं है।
दंतचिकित्सक (व आवश्यकता नुसार पेट व आँत रोग एक्सपर्ट के पास भी) जाकर उसे अपनी एलर्जीज़, बीमारियों व खान-पान आदि से सम्बन्धित आदतों के बारे में खुलके बतायें। खर्राटे अथवा किसी प्रकार की दवाइयाँ लेते रहें हों तो वह भी पहले ही स्पष्ट कर दें।
हो सकता है कि चिकित्सक सुबह-सुबह बिना मंजन किये आपको बुलाये व स्वयं सूँघकर दुर्गन्ध के प्रकार व स्रोत (मुख, नाक, जीभ) का पता लगाने का प्रयास करें। आवश्यकता अनुसार सम्भावित कारण के आधार पर प्रयोगशालेय परीक्षण सुझाये जा सकते हैं। ध्यान रखें कि दुर्गन्ध को नहीं अपितु उस रोग को उपचारित करना आवश्यक है जो कि मूल समस्या है। दुर्गन्ध तो लक्षण मात्र है।
साँस की दुर्गन्ध के घरेलु उपाय :
दुर्गन्ध यदि किसी रोग के प्रभाव स्वरूप है तो सम्बन्धित जाँच व चिकित्सात्मक उपचार अनिवार्य हैं, वैसे इनके साथ में (न कि अलग से) निम्नांकित उपाय अपनाते हुए दुर्गन्ध को कुछ कम किया जा सकता है..
*. अजमोदा की पत्तियों व अजवायन का सेवन बढ़ायें.
*. अनन्नास के टुकड़े कुछ समय दाँतों में दबाये रखकर बाद में चबा-चबाकर खाना.
*. पेयजल की मात्रा व आवृत्ति को बढ़ाना.
*. दूध व दहीं का सेवन अधिक करना.
*. सौंफ़ व विशेष रूप से मोटी सौंफ.
*. संतरा एवं विटामिन – सी युक्त अन्य खाद्य पदार्थ.
*. चाय यदि पीते ही हैं तो उसमें लौंग, अदरख, दालचीनी इत्यादि मिलाकर उबालकर हर्बल जैसी तैयार कर पीयें.
*. जस्ता (ज़िंक) की अधिकता वाले खाद्यों का सेवन करें, जैसे कि प्याज, विभिन्न फलियाँ व साबुत मोटे देसी अनाज.
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